सूर्य पर मौजूद काले राक्षस ने अपना मुंह धरती की तरफ मोड़ा, एक फुफकार में करोड़ों बमों की ताकत; अब क्या होगा?
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सूर्य पर मौजूद काले राक्षस ने अपना मुंह धरती की तरफ मोड़ा, एक फुफकार में करोड़ों बमों की ताकत; अब क्या होगा?

Science News in Hindi: सूर्य पर मौजूद एक विशालकाय सौर कलंक (sunspot) का रुख पृथ्‍वी की तरफ हो रहा है. जल्द ही इससे निकलने वाली सौर ज्वालाएं सीधे धरती की ओर आएंगी.

सूर्य पर मौजूद काले राक्षस ने अपना मुंह धरती की तरफ मोड़ा, एक फुफकार में करोड़ों बमों की ताकत; अब क्या होगा?

Solar Flares 2024 NASA: सूर्य एक बार फिर से बेहद सक्रिय हो उठा है. वहां पर एक भीमकाय सनस्पॉट (सौर कलंक) है जिसका मुंह अब पृथ्‍वी की तरफ हो रहा है. AR3901 नामक यह सनस्पॉट पहले ही कई सौर ज्वालाएं सौरमंडल में फेंक चुका है. आने वाले कुछ दिनों, इससे निकलने वाली सौर ज्वालाएं (Solar flares) सीधे धरती की ओर आएंगी. इससे आसमान में न सिर्फ रंगबिरंगी रोशनी (ऑरोरा) नजर आएगी, बल्कि रेडियो ब्लैकआउट भी हो सकता है. चूंकि, सोलर फ्लेयर्स से निकलने वाली ऊर्जा करोड़ों हाइड्रोजन बमों के बराबर होती है, उनसे धरती पर तकनीकी तबाही देखने को मिल सकती है.

NASA के मुताबिक, सोमवार को सूर्य से नौ M क्लास की सोलर फ्लेयर्स निकलीं. इनमें से अधिकांश इसी AR3901 सनस्पॉट से आई थीं. हालांकि, तब धरती उनकी फायरिंग लाइन में नहीं थी. लेकिन अब इस सनस्पॉट के धरती की ओर मुंह करने से चीजें बिगड़ सकती हैं.

क्या होते हैं सनस्पॉट और सोलर फ्लेयर?

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के अनुसार, सनस्पॉट या 'सूर्य कलंक' सूर्य के ठंडे क्षेत्र होते हैं, जहां चुंबकीय ऊर्जा का निर्माण होता है, अक्सर विस्फोट से पहले. ये सूर्य पर काले धब्बों की तरह नजर आते हैं. इनमें जमा होने वाली ऊर्जा जब अचानक जबरदस्त विस्फोट के साथ बाहर निकलती है तो उसे सौर ज्वाला कहते हैं.

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सौर ज्वालाएं कुछ ही मिनटों में पदार्थ को करोड़ों डिग्री तक गर्म कर देती हैं और चारों तरफ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन छोड़ती हैं, जिनमें रेडियो तरंगों से लेकर एक्स किरणें और गामा किरणें शामिल होती हैं. वैज्ञानिक सौर ज्वालाओं की उनकी चमक के हिसाब से पांच कैटेगरी में बांटते हैं. A क्लास की सौर ज्वालाएं सबसे छोटी और कमजोर होती हैं. M और X क्लास की सोलर फ्लेयर्स सबसे भयानक होती हैं जिनका असर धरती पर साफ दिखाई देता है.

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कितना होता है खतरा?

ESA के मुताबिक, M-क्लास फ्लेयर्स मध्यम आकार के होती हैं. वे आम तौर पर थोड़े समय के लिए रेडियो ब्लैकआउट की वजह बनती हैं जो पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं. एम-क्लास फ्लेयर के बाद कभी-कभी छोटे रेडिएशन तूफान आते हैं. X-क्लास फ्लेयर्स सबसे बड़े होती हैं. जब वे फूटती हैं तो पूरी दुनिया में रेडियो ब्लैकआउट और ऊपरी वायुमंडल में लंबे समय तक चलने वाले रेडिएशन तूफान को ट्रिगर कर सकती हैं.

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