1972 Munich Summer Olympics Massacre: 5 सितंबर 1972 का दिन सुबह 4 बजे के बाद ऐसा कुछ हुआ, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया. ट्रैकसूट पहने आठ लोग म्यूनिख के ओलंपिक विलेज में बाड़ फांदकर घुस आए, वे अपने साथ डफल बैग में कलाश्निकोव राइफलें और ग्रेनेड लेकर आए.


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ये लोग 'ब्लैक सितंबर' नामक समूह के सदस्य थे, जो फिलिस्तीन मुक्ति संगठन से जुड़ा हुआ था. उनका मिशन इजरायली एथलीटों को बंधक बनाना और 236 कैदियों की रिहाई की मांग करना था. इनमें 234 कैदी इजरायल की जेलों में थे और दो जिन्हें छुड़ाने की मांग की गई, वे पश्चिम जर्मन बाडर-मीनहोफ आतंकवादी समूह के दो नेता थे.


आतंकवादी घटना का लाइव प्रसारण
यह पहली बार था जब लाखों करोड़ों लोग लाइव इस आतंकवादी हमले को देख रहे थे. दरअसल, टेलीविजन नेटवर्कों ने अंततः आंतकवादी के हमले और बंधक बनाए गए इजरायल खिलाड़ियों की इस घटना को दिखाना शुरू किया और फिर यह पहली बार था जब किसी आतंकवादी घटना का लाइव प्रसारण वैश्विक दर्शकों तक पहुंचा गया था.


ओलंपिक का इस्तेमाल
म्यूनिख नरसंहार एक दुखद और हाई-प्रोफाइल आतंकवादी हमले को दर्शाता है जो 1972 के समर ओलंपिक के दौरान म्यूनिख, पश्चिम जर्मनी में हुआ था. इसमें यहूदी इजरायली ओलंपिक टीम को निशाना बनाया गया था. 'ब्लैक सितंबर' समूह इजरायली जेलों में बंद फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई की मांग कर रहा था और अपने मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने के लिए ओलंपिक का इस्तेमाल एक मंच के रूप में कर रहा था.


आतंकी हमला कैसे हुआ? (1972 Munich Summer Olympics Massacre Top Update)


1. 5 सितंबर, 1972 की सुबह, ब्लैक सितंबर ग्रुप के आठ आतंकी ओलंपिक गांव की परिधि बाड़ को लांघकर अंदर घुस गए, जहां यहूदी इजरायली एथलीट रह रहे थे. वे खतरनाक हथियारों से लैस थे.


2. आतंकवादियों ने इजरायली एथलीटों के आवास वाले अपार्टमेंट में घुसकर इजरायली ओलंपिक टीम के 11 सदस्यों को बंधक बना लिया. इस दौरान अपार्टमेंट में घुसने के दौरान दो एथलीट मारे गए और नौ अन्य को पकड़ लिया गया.


आतंकियों की मांग
3. आतंकवादियों ने इजरायली जेलों में बंद 200 से ज्यादा फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई और पश्चिमी जर्मनी से सुरक्षित बाहर निकलने की मांग की. जर्मन अधिकारियों और आतंकवादियों के बीच बातचीत शुरू हुई लेकिन काफी हद तक असफल रही.


मारे गए सभी बंधक
4. जर्मन अधिकारियों ने फुरस्टेनफेल्डब्रुक एयरबेस पर बंधकों को छुड़ाने का प्रयास किया, लेकिन ऑपरेशन की योजना और प्लान खराब तरीके से किया गया. जहां आतंकवादियों ने सभी शेष बंधकों को मार गिराया. गोलीबारी हुई, जिसमें एक आतंकवादी को जीवित पकड़ लिया गया.


दुनिया को झकझोर दिया
5. म्यूनिख नरसंहार ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया और इस आतंकवादी कृत्य की व्यापक निंदा हुई. अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने एक दिन के लिए खेलों को स्थगित कर दिया और पीड़ितों के लिए प्राथना की.


बारी बदले की
6. म्यूनिख नरसंहार के बाद, इजरायल ने हमले के लिए जिम्मेदार लोगों और ब्लैक सेप्टेंबर में शामिल अन्य लोगों का पता लगाने और उनको मार गिराने के लिए 'ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड' नामक एक गुप्त अभियान शुरू किया. जिसका अर्थ था- ईश्वर का कोप. यह अभियान कई वर्षों तक चला.


मोसाद का जन्म
7. कहा जाता है कि म्यूनिख ओलंपिक में अपने खिलाड़ियों की बेरहम हत्या से इजरायल आग बबूला था, जिसके बाद संसद में सभी दलों एक आवाज में आतंकवाद के खिलाफ 'युद्ध' का ऐलान कर दिया और फिर इसी कारण मोसाद का जन्म हुआ, जिसने आतंकवादियों से बदला लिया.


खुफिया कैंपेन के इंचार्ज हरारी
8. आतंकियों को मारने के लिए जो तैयारी की जा रही थी, उस खुफिया कैंपेन का इंचार्ज माइक हरारी को बनाया गया था. इसके बाद मोसाद का असली जन्म हुआ था. 16 अक्टूबर 1972 में पहले टार्गेट को खत्म किया गया. इसके बाद कुछ सालों में मोसाद ने मिडिल ईस्ट से लेकर यूरोप तक में छिपे आतंकवादियों को चुन चुनकर मार गिराया.


कुल मिलाकर, म्यूनिख नरसंहार ओलंपिक इतिहास और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के व्यापक संदर्भ में एक महत्वपूर्ण घटना थी. इसने बड़े पैमाने पर खेल आयोजनों की आतंकवादी हमलों के प्रति संवेदनशीलता को उजागर किया और इस कारण बाद के ओलंपिक में सुरक्षा उपायों को बढ़ाया जाने लगा. इसके अतिरिक्त, इससे इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष और बढ़ा, जो आज तक चल रहा है. बात इस बार के पेरिस ओलंपिक की तो वहां भी सुरक्षा कड़ी है और इस बार भी माहौल बिगाड़ने की धमकी मिल चुकी है.


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