नई दिल्ली: मिसाइल हमलों से नागोरनो काराबाख का जर्रा जर्रा कांप रहा है. जंग के मैदान में टैंक गरज रहे हैं . नागोरनो काराबाख में तोप गोलों की ऐसी बारिश हो रही है कि धरती धूल धूसरित हो चुकी है. फिजाओं में चारों तरफ बारूद की गंध घुली हुई है.लोग डर और दहशत के साए में सांसे ले रहे हैं.


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अबतक 66 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. दोनों ही तरफ से अब रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया जा रहा है. मकान, दुकान, अस्पताल सब जंग में तबाह हो रहे हैं . करीब 80 हजार घर बम गोलों की बारिश में ध्वस्त हो चुके हैं जबकि करीब 90 हजार लोग बेघर होने को मजबूर हैं.


जंग में कमजोर पड़ते आर्मेनिया का साथ देने के लिए इरान ने भी मोर्चा संभाल लिया है. इरान की फौजें जंगी बेड़े के साथ सीमावर्ती इलाकों की तरफ बढ़ चुकी हैं. इरान ने सैकड़ों बख्तरबंद गाड़ियों, टैकों और तोपखानों को नागोरनो काराबाख की सीमा की तरफ रवाना कर दिया है. इरान का कहना है कि जंग अब बड़ी शक्ल अख्तियार कर रही है. तुर्की और पाकिस्तान ने अजरबैजान की तरफ से आतंकियों को उतारकर बहुत खराब फैसला किया है जिसकी कीमत आने वाले दिनों में कुछ और देशों को चुकानी पड़ सकती है.


आर्मेनिया के पीएम का जनता से हथियार उठाने का आह्वान


आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशियान ने अब आम लोगों से हथियार उठाकर जंग में कूदने को कहा है. दरअसल आर्मीनिया ने अब नागोरनो काराबाख की जंग को अपने अस्तित्व की लड़ाई मान लिया है और शक जता रहा है कि तुर्की के इशारे पर अजरबैजान वहां जीनोसाइड यानी आर्मेनियाई नागरिकों का नामोनिशान मिटाना चाहता है.


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उधर अजरबैजान का दावा है कि आर्मीनिया ने दोनों बार पहले युद्धविराम तोड़ा है जबकि आर्मेनिया का कहना है कि युद्धविराम तोड़ने का गुनाह अजरबैजान ने किया है.


फ्रांस-तुर्की आमने-सामने, बीच में कूदे इमरान


उधर आर्मेनिया अजरबैजान जंग में फ्रांस और तुर्की आमने-सामने आ चुके हैं. तुर्की ने जहां फ्रांस के राष्ट्रपति को धमकी दी है वहीं फ्रांस ने कड़ा कदम उठाते हुए तुर्की से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है.


उधर मजे की बात ये है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी बहती गंगा में हाथ धोने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहते. उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रां पर आरोप मढ़ दिया है कि वो जानबूझकर इस्लाम और मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं. ये वही इमरान खान हैं जिन्होंने अजरबैजान की तरफ से लड़ने के लिए अपने देश से आतंकी भेजे हैं.


अमेरिका की पहल, तीसरे युद्धविराम की आस


उधर अच्छी बात ये है कि दो बार युद्धविराम तोड़ चुके दोनों देशों को अमेरिका फिर से शांति समझौते के लिए तैयार कर रहा है. दोनों देशों के विदेशमंत्रियों के साथ अमेरिका के विदेशमंत्री की अलग-अलग बैठक हुई है. अब देखना है कि रूस की बात नहीं मानने वाले आर्मेनिया और अजरबैजान अमेरिका की बात पर अमल कबतक करते हैं और  राख के ढेर में बदल रहा नागोरनो काराबाख फिर से शांति के रास्ते पर कब लौटेगा.


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