नई दिल्लीः लगातार तीन चिट्ठी-पत्री लिखकर सिद्धू साहब पाकिस्तान गए तो फिर कुछ ऐसा बोल आए जो भारत की सियासत में बवंडर उठाने के लिए काफी है. वह गए तो थे करतारपुर कॉरि़डोर के उद्घाटन में लेकिन बवाल के सुतली बम में चिंगारी लगा के चले आए. उनका यह दौरा किसी विवाद को जन्म दे सकता है, क्योंकि कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने लोगों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान की तारीफ की है, इतना ही नही, उन्होंने इमरान खान को अपना दोस्त बता दिया.


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क्या बोला कांग्रेस नेता ने
करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि विभाजन के बाद यह पहली बार है कि सीमाएं सीमाएं समाप्त कर दी गई हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि मेरे दोस्त इमरान खान के योगदान को कोई नकार नहीं सकता.



मैं पीएम मोदी को भी इसके लिए धन्यवाद देता हूं. सिद्धू को पाकिस्तान ने उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बुलाया, उन्होंने भारतीय जत्थे के साथ अपनी यात्रा भी नहीं की थी. अपनी कविता वाले अंदाज में उन्होंने पाक प्रधानमंत्री इमरान खान की जमकर तारीफ की और उन्हें इतिहास बनाने वाला बताया. 



पहले भी कर चुके हैं पाक की तारीफ
सिद्धू के लिए यह पहला मौका नहीं है जब वह पाक पर इतना मोहित हुए हैं. इसके पहले भी वह इस तरह की बयान बाजी कर विवादों में घिर चुके हैं. यह मामला अक्टूबर 2018 का है. तब सिद्धू पाकिस्तान यात्रा से लौटे थे. इसके बाद वह कसौली में चल रहे एक साहित्य सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे थे. यहां  उन्होंने पाकिस्तान की यात्रा को अच्छा बताते हुए कहा था कि आप पाक में कहीं भी यात्रा कर लो, न तो वहां लोग बदलते हैं, न भाषा और न ही खाना बदलता है. इसके बजाय आप दक्षिण भारत चले जाएं तो वहां भाषा से लेकर खान-पान सब बदल जाता है. उनका यह बयान नागवार गुजरा था.


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शपथ ग्रहण में बाजवा से गले मिलकर आए थे
इसके पहले अगस्त 2018 में वह पाकिस्तान के नव निर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे थे. इस समारोह में जाना तो एक बारगी ठीक था, लेकिन कांग्रेस नेता यहां एक खास कारनामा कर बैठे. उन्होंने पाक के आर्मी चीफ जनरल बाजवा को गले लगाया था. उनका ऐसा करना देश भर में सियासी बवाल लाने के लिए काफी था. उस दौरान पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर ने भी सिद्धू का विरोध किया था.



उन्होंने बयान दिया था कि हर रोज हमारे जवान शहीद हो रहे हैं. मैं उनके (सिद्धू के) सेना प्रमुख जनरल बाजवा को गले लगाने के खिलाफ हूं. सच यह है कि उन्‍हें समझना चाहिए था कि हर रोज हमारे जवान मारे जा रहे हैं. कुछ महीने पहले मेरी रेजिमेंट के एक मेजर और दो जवान शहीद हुए थे.