नई दिल्ली.     भले ही अमेरिका का मीडिया ट्रम्प विरोधी हो, भले ही जनमानस में ये चल रहा हो कि रंगभेद करने वाले राष्ट्रपति हैं डोनाल्ड ट्रम्प या लोग और मीडिया दोनो मिल कर कह रहे हों कि कोरोना महामारी से निपटने में ट्रम्प नालायक सिद्ध हुए हैं. किन्तु ऐसे में अमेरिकी भारतवंशियों के ठोस मतदान से मामला कुछ हद तक तसवीर का रुख बदल सकता है. ऐसे में भारतीयों का रुझान ट्रम्प की तरफ ज्यादा नजर आता है क्योंकि उनके पास है ट्रम्प के समर्थन की वजह.


जमीनी हकीकत ट्रम्प के समर्थन में नहीं


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ट्रम्प से नाखुश लोग ट्रम्प को हराने के लिये वोटिंग करने का संकल्प कर सकते हैं और बाहर आ कर वोटिंग भी कर सकते हैं. किन्तु ट्रम्प का समर्थन करने वाले इतने कट्टर नहीं हो सकते हैं कि कसम खा कर ट्रम्प को जिताने के लिये बाहर आयें और लाइन में लग कर वोटिंग करें.  इसलिये यदि भारतीय ट्रम्प को जिताना ही चाहते हैं तो उन्हें ट्रम्प के समर्थन में कट्टर होना होगा और वोट करने के लिये निकलना होगा.


मोदी की मित्रता का प्रभाव निश्चित


ट्रम्प से मोदी की मित्रता जगजाहिर है. चाहे वह भारत का नमस्ते ट्रम्प वाला आयोजन हो या अमेरिका में हाउडी मोदी का अवसर - भारतवंशियों को साफ दिखा उनके भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डोनाल्ड ट्रम्प से मैत्री. मोदी की लोकप्रियता अमेरिका में निर्विवाद है और मोदी का ट्रंप को स्पष्ट समर्थन अमेरिकी भारतीयों के लिये सीधा संदेश है कि डोनाल्ड ट्रम्प हैं आपके मतदान के सही प्रत्याशी. 


चीन का विरोध है राष्ट्रवाद 


अमेरिका की जमीनी सच्चाई भारत की भी ज़मीनी सच्चाई है. अमेरिका के भारतीय भारत के भारतीयों की तरह ही चीन के भारत विरोधी और अमेरिका विरोधी विषैले इरादों से परिचित हैं. इसलिए बाइडेन को वोट देने की संभावना न के बराबर है. बाइडेन चीन समर्थन के लिए जाने जाते हैं और इस चुनाव में चीन का समर्थन घातक सिद्ध हो सकता है उनके लिए क्योंकि उनका सामना उस प्रत्याशी से है जो शुद्ध राष्ट्रवादी है और जिसने नारा दिया है - अमेरिका फर्स्ट! 


इस्लामी कट्टरता भी रास नहीं आ सकती है


भारतीयों को विश्व में चल रही इस्लामी कट्टरता और भारत में उसके समर्थन में हुए प्रदर्शन - दोनों ही रास नहीं आएंगे, चाहे वे भारतीय भारत के हों या अमेरिका के. ऐसे में खुल कर आतंकवाद और इस्लामी कट्टरता के विरोधी डोनाल्ड ट्रम्प को भारतीयों का समर्थन अपनेआप ही प्राप्त हो जाता है. पिछ्ला चुनाव ट्रम्प ने मुस्लिम कट्टरता के खुले विरोध की घोषणा के बाद जीता था. ट्रम्प ने आज भी अपना पाला नहीं बदला है जिसके कारण उन्हें अमेरिकी नागरिकों से बड़ी संख्या में समर्थन प्राप्त होगा.


 दो अतिरिक्त कारक ट्रम्प के समर्थक 


उपरोक्त बड़े कारकों के अतिरिक्त दो छोटे कारक भी ट्रम्प के समर्थन में जाते हैं. ये  माना जा रहा था कि डोनाल्ड ट्रम्प ने इमिग्रेशन के नियम कड़े कर दिए इसलिए उनको भारतीयों का समर्थन नहीं मिलेगा. ये बात सरासर गलत है क्योंकि इमिग्रेशन के नियमों से जिन भारतीयों का फायदा या नुक्सान होगा, वे अमेरिका के चुनावों में वोट देने के अधिकारी नहीं हैं. दूसरी बात कमला हैरिस के प्रत्याशी होने से लोगों का यह कहना था कि भारतीयों के सारे वोट डेमोक्रेट्स को मिल जाएंगे - ये दावा भी गलत है क्योंकि अमेरिकी भारतीयों को अच्छी तरह से पता है कि कमला हैरिस की जड़ें भारतीय हो सकती हैं किन्तु उनका ह्रदय नहीं. कमला का भारत विरोधी होना उनके साथ साथ उनके प्रेजिडेंट बाइडेन के विरोध में भी जाएगा.


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