नई दिल्लीः अगर आपको पता चल जाएगा कि आप कब मरने वाले हैं तो आपकी कोशिश होगी कि दुनिया से जाने से पहले आप अपने सभी अधूरे काम निपटा लें. अपनी वसीयत कर लें. अपने परिवार के लिए अच्छी यादें छोड़कर जाएं. 


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आंखों का रेटिना करेगा डॉक्टरों की मदद
दरअसल, वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भविष्य में आंखों को स्कैन कर मरने के समय का पता लगाया जा सकेगा. आंखों का रेटिना किसी के स्वास्थ्य के बारे में गहराई तक जानने में डॉक्टरों की मदद करेगा.


ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने आंखों की रेटिना पर किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया कि व्यक्ति की रेटिना को स्कैन करके यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह किस दशक तक जीवित रहेगा.


AI प्रोग्राम से लगाया जाता है पता
ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने रेटिना के आयु के अंतर को मौत के बढ़ते जोखिम से जोड़ा है. यह अंतर किसी की आयु और उसके रेटिना की अनुमानित जैविक आयु के बीच का अंतर है. इसे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) प्रोग्राम से मापा जा सकता है.


11 साल तक किया गया अध्ययन
जिन लोगों में यह अंतर एक दशक का होता है उनमें मौत का जोखिम 67 प्रतिशत तक होता है. शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि प्रत्येक साल का अंतर 2 प्रतिशत मौत का जोखिम बढ़ाता है. ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने 11 साल तक वॉलंटियर्स पर यह अध्ययन किया.


मेलबर्न सेंटर फॉर आई रिसर्स के शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक से लिए गए 36,000 लोगों के रेटिना की उम्र के अंतर का आकलन किया. इनमें से आधे से ज्यादा लोगों के रेटिना की आयु उनकी वास्तविक उम्र से तीन साल अधिक थी. कुछ लोगों के रेटिना एक दशक से अधिक पुराने थे. 


उन्होंने इसे शोध में शामिल लोगों के हेल्थ डेटा के साथ जोड़ा. 11 वर्षों तक इस पर नजर रखी. इससे उन्हें मौत के कारणों और रेटिना की उम्र के अंतर के बीच के संबंध का पता चला. इस दौरान पांच प्रतिशत प्रतिभागियों की मौत हुई, जिनकी संख्या करीब 1800 थी. अधिकांशकी मौत कैंसर, डिमेंशिया और हृदय रोग से हुई. 


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