भारत के बाद इस देश से भी सीमा विवाद हल करने पर सहमत हुआ चीन, क्या सुधर गया है ड्रैगन या नई चाल?
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बातचीत हुई. इसे लेकर न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि दोनों नेता संबंधित अधिकारियों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों की शीघ्र वापसी और तनाव कम करने को सहमत हुए हैं. वहीं अब न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा ने जानकारी दी कि चीन ने एक और देश के साथ सीमा विवाद हल करने पर सहमति जताई है.
नई दिल्लीः ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बातचीत हुई. इसे लेकर न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि दोनों नेता संबंधित अधिकारियों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों की शीघ्र वापसी और तनाव कम करने को सहमत हुए हैं. वहीं अब न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा ने जानकारी दी कि चीन ने एक और देश के साथ सीमा विवाद हल करने पर सहमति जताई है.
भूटान के साथ सीमा विवाद हल करने पर सहमति
दरअसल, चीन और भूटान अपने सीमा विवाद को हल करने के लिए 'तीन स्तरीय रोडमैप' लागू करने में तेजी लाने पर सहमत हुए हैं. चीन ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि बीजिंग में 21 से 24 अगस्त तक चीन-भूटान सीमा मुद्दों पर विशेषज्ञ समूह की 13वीं बैठक हुई. भूटान और चीन ने अक्टूबर 2021 में अपने सीमा विवाद को हल करने के लिए बातचीत में तेजी लाने के वास्ते 'तीन स्तरीय रोडमैप' पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
भूटान-चीन की बातचीत पर भारत की भी है नजर
उस समझौते पर हस्ताक्षर से करीब चार साल पहले भारत और चीन की सेनाओं के बीच ‘डोकलाम त्रिकोणीय जंक्शन’ पर 73 दिन तक गतिरोध बना रहा था जब चीन ने उस इलाके में एक सड़क बनाने की कोशिश की थी जिस पर भूटान अपना दावा जताता है. सीमा विवाद के संबंध में भूटान और चीन के बीच बातचीत पर भारत करीबी नजर बनाए हुए है क्योंकि इसका असर भारत के सुरक्षा हितों खासतौर से ‘डोकलाम त्रिकोणीय जंक्शन’ पर पड़ सकता है.
चीन की मंशा कितनी सही?
चीन अपने दोनों पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद को हल करने की दिशा में जिस तरह से कदम उठा रहा है उससे एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या वाकई चीन की मंशा विवाद हल करने की है या इसके पीछे उसकी कोई नई चाल है. क्योंकि चीन का इतिहास ऐसा रहा है जिस पर आसानी से भरोसा नहीं किया जा सकता है. साथ ही सीमावर्ती इलाकों में उसकी गतिविधियां हमेशा से संदेह के घेरे में रही है.
चीन का भारत-भूटान के अलावा फिलिपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, ब्रूनेई जैसे देशों से भी सीमा विवाद है. दक्षिण चीन सागर में भी चीन की आक्रामकता किसी से छिपी नहीं है. साथ ही ताइवान और तिब्बत को लेकर चीन का रवैया हमेशा से कटघरे में रहा है.
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