नई दिल्ली.  चीन का नेक्सस बिलकुल चीन की तरह है. चाहे बात नॉर्थ कोरिया की हो या पाकिस्तान की, चोर की गैंग में चोर ही शामिल होते हैं. अब इस विस्तारवादी महाचोर को जरूरत पड़ गई है अपनी गैंग के चोरों की मदद की क्योंकि सामना हुआ है डाकुओं से. अफगानिस्तान के तालीबानी डाकुओं से चीनी चोरों को डर लग गया है इसलिये पाकिस्तान से मदद की उम्मीद लगा रहा है चीन.


सीपीईसी प्रोजेक्ट को ले कर डर


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चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर चीन का बहुत महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है जो दक्षिण एशिया में चीन की सामरिक स्थिति को बहुत मजबूत कर सकता है. अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ तालिबान की जंग चीन को परेशान कर रही है. चीन को अपने सीपीईसी प्रोजक्ट का भविष्य सुरक्षित नहीं दिख रहा है. चीन को भय है कि बलूची विद्रोही तालिबानियों से हथियार लेकर चीन पाकिस्तान इकनॉमिक प्रोजक्ट में व्यवधान डालेंगे और इसे पूरा नहीं होने देंगे.


चीन को एक डर और है


अफगानिस्तान के तालिबानी आतंकियों से चीन का डर एक और कारण से भी है. अफगानिस्तान में सीपीईसी के विरुद्ध तालिबानी खड़े होंगे ही इसके अलावा अगर अफगानिस्तान सरकार से होने वाली शांतिवार्ता में तालिबानियों को सत्ता में आने का मौक़ा मिल जाता है तो उधर चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों को विद्रोह करने का अवसर मिल सकता है.


उइगर मुसलमानों पर नियंत्रण जरूरी


मीडिया का कहना है कि शिनजियांग प्रांत की सुरक्षा सीधे तौर पर चीन के मार्च ईस्ट स्ट्रेटजी से जुड़ी हुई है. मध्य एशिया के देशों में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के मद्देनज़र भी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मार्च ईस्ट स्ट्रेटेजी की भी महत्वपूर्ण भूमिका है. इसलिए चीन की सोच ये है कि मार्च ईस्ट स्ट्रेटेजी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए हर हालत में उइगुरों पर नियंत्रण पाना जरूरी है.


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