नई दिल्लीः अमेरिका ने शुक्रवार को पांच चीनी कंपनियों और एक अनुसंधान संस्थान को काली सूची में डालने की घोषणा करते हुए कहा कि ये इकाइयां बीजिंग के जासूसी संबंधी अंतरिक्ष कार्यक्रमों से जुड़ी हैं. चीन के जासूसी गुब्बारे के अमेरिका के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने की घटना को लेकर इसे बदले की कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है. 


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बाइडन प्रशासन ने ली थी एक्शन की शपथ
इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने चीनी जासूसी गतिविधियों से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर कदम उठाने का संकल्प लिया था. इस कदम के बाद इन पांच चीनी कंपनियों और एक शोध संस्थान के लिए अमेरिकी प्रौद्योगिकी हासिल करना अधिक कठिन हो सकता है. 


अमेरिका के इस कदम से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक गतिरोध बढ़ सकता है. 


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चीनी गुब्बारे को अमेरिका ने किया था नष्ट
गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले ही अमेरिका ने अटलांटिक महासागर में दक्षिण कैरोलाइना के तट के पास एक चीनी जासूसी गुब्बारे को नष्ट किया था, जिसने 30 जनवरी को अमेरिकी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था. चीन ने स्वीकार किया है कि यह गुब्बारा उसका था लेकिन उसने इस बात से इनकार किया कि इसका मकसद जासूसी करना था. 


चीन का कहना है कि इसका उद्देश्य मौसम संबंधी जानकारी जुटाना था. 


छह इकाइयों के खिलाफ लिया एक्शन
अमेरिकी उद्योग एवं सुरक्षा ब्यूरो ने कहा कि 'चीन के सैन्य आधुनिकीकरण के प्रयासों, विशेष रूप से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अंतरिक्ष कार्यक्रमों सहित उसकी जासूसी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए इन छह इकाइयों को काली सूची में डाला जा रहा है.'


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