कोरोना संकट से मजबूर सऊदी अरब उठाएगा कठोर कदम
सऊदी अरब भी कोरोना के गहन संकट से घिरा हुआ है. लेकिन बजाये इसके कि फैसला करने में गलती करे या विलम्ब करे, ये देश त्वरित कदम उठाने का मन बना चुका है और लेने जा रहा है कड़े फैसले..
नई दिल्ली. कोरोना संकट सऊदी अरब को इतना मजबूर कर रहा है कि मध्यपूर्व का यह देश कुछ ऐसे कदम उठाने जा रहा है सामान्य परिस्थितियों में जिनको वह कदापि स्वीकृति न देता. लेकिन कोरोना के संकट से देश को उबारने के लिए इस देश की सरकार सब कुछ कर गुजरने को तैयार है..
''कड़े और तकलीफदेह फैसले लेने होंगे''
कोरोना से बुरी तरह चोट खाया सऊदी अरब अब कड़े और तकलीफदेह फैसलों का मन बना चूका है. सऊदी अरब के वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जदान ने कहा कि हम वह सब करेंगे जो हमें इस परेशानी से निजात दिलाएंगे. कोरोना वायरस के संक्रमण से देश की अर्थव्यवस्था को करारा आघात लगा है और अब उससे पार पाने के लिए कुछ ऐसे कदम उठाने पड़ेंगे जो कड़े और तकलीफ़देह हो सकते हैं.
''हमने सारे फैसले खुले रखे हैं''
सऊदी अरब के वित्त मंत्री ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि सरकार हर किस्म के कड़े कदम उठाने को तैयार है और आर्थिक संकट के इस दौर से निकलने के लिए सारे विकल्प खुले हैं. अल-जदान ने खुलासा करते हुए बताया कि सऊदी अरब बजट खर्चों में भारी कटौती करेगा. आगे उन्होंने कहा कि इस साल की दूसरी तिमाही में सऊदी अरब की आर्थिक स्थिति पर कोरोना वायरस का प्रभाव देखने को मिलेगा. इस चुनौती का सामना करने के लिए सऊदी अरब अपने वित्तीय ढाँचे में कड़ाई के साथ बदलाव लाएगा.
''मेगा प्रोजेक्ट पीछे किये जाएंगे''
वित्त मंत्री ने आर्थिक कड़ाई के फैसलों को स्पष्ट करते हुए मिसाल दी कि सबसे पहले तो देश के बड़े प्रोजेक्ट अभी रोक दिए जाएंगे और उस खर्चे को जरूरत के कामों में लगाया जाएगा. अल जदन ने परिस्थितियों की गंभीरता को समझाते हुए कहा कि - हम दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश हैं लेकिन आज दुर्भाग्य से हम ऐतिहासिक रूप से तेल की कम क़ीमतों के कारण उत्पन्न आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहे हैं और देश का मुद्रा भंडार पिछले दो दशकों में सबसे नीचे के स्तर पर आ पहुंचा है.
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