नई दिल्ली. लॉकडाउन का फैसला गलत था - इस दावे से जुड़े  नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक का नाम है माइकल लेविट जिन्हें वर्ष 2013 में रसायन शास्त्र में यह उच्चतम सम्मान प्राप्त हुआ था. माइकल लेविट ने कोरोना वायरस लॉकडाउन पर बड़ी बात कही है. उनका कहना है कि इससे कोरोना मौतों की संख्या बढ़ी हैं. यह निर्णय नहीं लेना चाहिए था क्योंकि इसने संक्रमण को तो खत्म नहीं किया बल्कि लोगों के रोजगार खत्म कर दिए. 


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''लॉकडाउन से संक्रमण में कमी नहीं आई है'' 


नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक माइकल लेविट ने कहा है कि  कोरोना वायरस लॉकडाउन जिस मकसद से किया गया था उसमें कामयाब नहीं हो सकता और संक्रमण के मामलों में लॉकडाउन के कारण कमी नहीं आई है. लेविट का दावा है कि इसका नुकसान ही हुआ है और इस लॉकडाउन के कारण मौतों की संख्या तेजी से बढ़ी है और आगे भी इसी  तेजी से बढ़ सकती है.


''तनाव पैदा किया लॉकडाउन ने'' 


प्रोफेसर लेविट का कहना है कि घरों के अंदर कैद रखने के फैसले से लोगों के भीतर तनाव पैदा हुआ है.  स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के इस वैज्ञानिक की बात को हल्के में इसलिए भी नहीं लिया जा सकता क्योंकि उन्होंने ने कोरोना वायरस महामारी के शुरूआती दौर को लेकर सटीक भविष्यवाणी की थी.



 


मौत की आशंका 10-11 गुना अधिक हो गई है 


प्रोफेसर लेविट की बातें चौंकाने वाली हैं. उन्होंने महामारी विशेषज्ञ प्रोफेसर नील फर्ग्यूसन की एक थ्योरी का हवाला दिया जिसमें फर्ग्युसन ने बताया है कि लॉकडाउन के कारण कोरोना मरीजों की मौत की आशंका 10 से 12 गुना बढ़ गई है. लेविट ने कहा लॉकडाउन के कारण महामारी तो नहीं रुकी लेकिन लाखों लोगों की आजीविका नष्ट हो गई.


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