नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी अत्यंत महत्वपूर्ण है किन्तु पहले ही कोरोना महामारी ने दुनिया का बुरा हाल किया हुआ है और वैश्विक आर्थिक स्थिति की दुर्दशा कर डाली है. ऐसे में लगता है कि अब ऐसी किसी भी चेतावनी का कोई अर्थ नहीं क्योंकि बात हांथ से निकल चुकी है. किन्तु यदि अभी भी दुनिया के देश एक मंच पर आकर मिल कर इस चुनौती का सामना करें तो हालात फिर भी बहुत बुरे होने से बच सकते हैं. 


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साढ़े आठ हज़ार अरब डॉलर का वैश्विक नुकसान 


संयुक्त राष्ट्र ने जो चेतावनी जारी की है उसके मूल में विश्व की भावी अर्थव्यवस्था की दुखद चित्र है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि कोरोना महामारी दुनिया में अकल्पनीय तबाही का कारण बन सकती है. इस तथ्य को आंकड़ों के पटल पर प्रस्तुत करते हुए इस वैश्विक संगठन ने बताया है कि इस महामारी के कारण वैश्विक उत्पादन में 8500 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है.


सभी राष्ट्रों को मिल कर करना होगा मुकाबला 


संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने यह चेतावनी जारी की है और दुनिया के हर देश के लिए संदेश दिया है कि इस महामारी से  महामंदी पैदा होने वाली है और दुनिया भर में भीषण भूख और अकाल जैसे हालात पैदा हो सकते हैं जो कि भयंकर तबाही का पैगाम बन सकते हैं. ऐसे में बस एक ही रास्ता बचता है कि सभी राष्ट्रों ने मिलजुल कर इसका समाधान ढूंढना होगा. 


''ये एक अभूतपूर्व मानवीय संकट है'' 


 संयुक्त राष्ट्र महासचिव विकास के लिए वित्त पोषण पर उच्च-स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. गुटेरेस ने कहा - हमें इस भावी वैश्विक दुर्दशा से बचना चाहिए. इस महामारी ने सारी दुनिया की  कमजोरी को बेनकाब कर दिया है. पिछले कुछ दशकों में हुई तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के होते हुए भी सारी दुनिया ने एक सूक्ष्म वायरस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है जिससे एक अभूतपूर्व मानवीय संकट पैदा हो गया है. 


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