नई दिल्ली. अमेरिका और ईरान की लड़ाई इन दोनों देशों का निजी मसला है. भारत ने इनके बीच कभी कोई दखलंदाज़ी नहीं की है जबकि वह स्वयं ईरान में वहां की सरकार के साथ कई परियोजनाओं में भागीदार कर रहा है. इधर अमेरिका भी भारत का एक बड़ा और जगजाहिर मित्र है. कुछ दिन पहले यही देश भारत को सीएएए को लेकर सीख देने की कोशिश कर रहा था लेकिन अब चार दिनों में ही इसी ईरान को भारत के सामने मदद का कटोरा फैलाना पड़ा है.


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दर्द जाहिर किया ईरान ने 


अमेरिका से तन कर दुश्मनी लेने वाले ईरान की सारी हेकड़ी निकल गई है. चीन के कोरोना ने उस पर ऐसा हमला किया कि उसे अब बचने की राह नहीं मिल रही है. कोरोना से जंग के बीच ईरान ने अपनी तकलीफ जाहिर की और अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ भारत से मदद की गुहार लगाईं है. 


लगाई भारत से मदद की गुहार


ईरान ने भारत से मदद की गुहार लगाते हुए उसे अपने देश के कोरोना से बदहाल हुए हालात की जानकारी दी. इरान पश्चिम एशिया में कोरोना वायरस का केंद्र बना हुआ है चीन और इटली के बाद दुनिया में सबसे अधिक कोरोना संक्रमण के मामले सामने आये हैं. कई मौतों के साथ यहां के 12,700 कोरोना वायरस के संक्रमित लोगों में सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं.



 


लिखा पीएम मोदी को पत्र 


ईरान के ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर स्पष्ट तौर पर मदद मांगी है और कहा है कि उसे अमेरिकी प्रतिबंधों में ढील दिलवाई जाए. इस आवश्यकता की अनिवार्यता हेतु रूहानी ने कोविड-19 के खतरे के बीच प्रतिबंध को अमानवीय कहा है. रूहानी ने मदद का यह पत्र और भी कुछ वैश्विक नेताओं को लिखा है और कहा है कि ईरान को कोरोनो वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए संयुक्त अंतर्राष्ट्रीय उपायों की आवश्यकता है. 


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