नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसुस (Dr. Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने शुक्रवार को कोरोनावायरस को हेल्थ एमरजेंसी ना रहने का ऐलान किया. डॉक्टर अब्राहम के मुताबिक अब कोरोनावायरस ग्लोबल हेल्थ एमरजैंसी नहीं रहा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि खतरा टल गया है.


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कोरोना के आंकड़ों से समझिए इसके हालात
आंकड़ों के आधार पर डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने यह दावा किया कि जनवरी 2021 में जहां हर हफ्ते औसतन एक लाख के सामने आ रहे थे, वह अब अप्रैल के महीने में हफ्ते में दो हजार के करीब रह गए हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोनावायरस अब लोगों को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन बीमारी और मौतों से होने वाले नुकसान का स्तर अब बेहद कम हो गया है.


डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इस महामारी से  पूरी दुनिया को बहुत नुकसान हुआ. 7000000 लोगों की जान चली गई. हालांकि डॉक्टर टेड्रोस अब्राहम के मुताबिक यह आधिकारिक आंकड़े हैं असल नुकसान इससे कहीं ज्यादा हुआ है उनके आकलन के मुताबिक तकरीबन दो करोड़ लोग कोरोनावायरस की वजह से पूरी दुनिया में मारे गए. लेकिन इस महामारी ने हमें जिस तरह से तैयार किया है हमें आगे के लिए उससे सबक लेना चाहिए और अगली आने वाली मुसीबतों के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहना चाहिए


डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को लेकर दी ये जानकारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन में जनवरी 2020 में कोरोनावायरस की महामारी को इंटरनेशनल ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया था. तब से लेकर अब तक यह इंक्शन 765 मिलियन लोगों को अपना शिकार बना चुका है.


जब किसी बीमारी को ग्लोबल हेल्थ एमरजैंसी घोषित किया जाता है तो आमतौर पर सभी देशों से अपेक्षा की जाती है कि वह आपस में तालमेल के साथ महामारी से निपटने की स्ट्रैटेजी बनाएं. जैसे अगर कोई देश बेहतरीन बनाएं, तो वह उस वैक्सीन को पूरी दुनिया के साथ साझा करें, लेकिन अब चौकी कोरोनावायरस ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी नहीं है. तो यह सभी देशों के ऊपर है कि वह इस आपदा से निपटने के लिए अब क्या करना चाहते हैं और कौन सी रणनीति अपनाना चाहते हैं.


हालांकि डब्ल्यूएचओ ने बार-बार साफ किया कि खतरा कम हुआ है. बीमारी का इन्फेक्शन पूरी तरह से गया नहीं है, इसीलिए हर देश को अपने स्तर पर सतर्कता बरतनी चाहिए.


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