Bangladesh: पिछले साल दूर्गा पूजा पंडालों-मंदिरों में हुई थी तोड़फोड़, इस बार खुद पीएम ने संभाला मोर्चा
Dussehra 2022: दुर्गा पूजा का उत्साह केवल भारत में ही नहीं है, बल्कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी देखने को मिलता है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि दुर्गा पूजा सिर्फ हिंदू समुदाय का त्योहार नहीं है, बल्कि यह बुरी ताकतों के विनाश का प्रतीक है. यह अब एक सार्वभौमिक त्योहार है.
नई दिल्ली: Dussehra 2022: दुर्गा पूजा का उत्साह केवल भारत में ही नहीं है, बल्कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी देखने को मिलता है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि दुर्गा पूजा सिर्फ हिंदू समुदाय का त्योहार नहीं है, बल्कि यह बुरी ताकतों के विनाश का प्रतीक है. यह अब एक सार्वभौमिक त्योहार है.
पीएम हसीना ने दुर्गा पूजा की दी बधाई
उन्होंने कहा, "बुरी ताकतों का विनाश और सत्य और सौंदर्य की पूजा शारदीय दुर्गोत्सव का मुख्य उद्देश्य है. दुर्गा पूजा के अवसर पर, मैं हिंदुओं सहित सभी नागरिकों के लिए शांति, कल्याण और समृद्धि की कामना करती हूं."
'सामाजिक त्योहार भी है दुर्गा पूजा'
बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल हमीद ने एक अलग संदेश में समान भावनाओं को प्रतिध्वनित किया. उन्होंने कहा, "देश का हिंदू समुदाय प्राचीन काल से विभिन्न अनुष्ठानों के साथ बड़े उत्साह और उत्सव के बीच पूजा का जश्न मना रहा है. दुर्गा पूजा न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि एक सामाजिक भी है."
दुर्गा पूजा पंडालों की संख्या में इजाफा
पिछले साल पंडालों की संख्या 32,118 थी, जो इस साल मामूली रूप से बढ़कर 32,168 हो गई है. ढाका में पूजा पंडालों की संख्या 241 हैं.
पिछले साल, त्योहार में हिंसा हुई थी, जिसमें कम से कम सात लोग मारे गए थे. मंदिरों और पंडालों में तोड़फोड़ की गई. अधिकारियों ने इस साल अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए हैं.
ढाका ट्रिब्यून ने निवर्तमान आईजीपी बेनजीर अहमद के हवाले से कहा, "हमने दुर्गा पूजा से पहले मंडपों पर तीन स्तरीय सुरक्षा उपाय किए हैं और यह पूजा के अंत तक जारी रहेगा."
बांग्लादेश में 10 फीसदी है हिंदू आबादी
बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की आबादी 10 फीसदी है. हसीना ने बार-बार देश में धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया है. ढाका ट्रिब्यून ने कहा, "चाहे अल्पसंख्यक हिंदू हों या बहुसंख्यक मुसलमान, सभी इस अवसर का पर पंडाल जाते हैं, ढाक (एक विशेष ताल वाद्य) की आवाज पर नृत्य करते हैं."
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