गाने बजाने और हंसने संग शिक्षा पर भी बैन, क्या उत्तर कोरिया से बदतर है अफगानिस्तान की स्थिति?
किम को उत्तर कोरिया विरासत में मिला और तालिबान ने एक पूरे देश अफगानिस्तान को जबरदस्ती हथिया लिया.
नई दिल्ली: एक देश है उत्तर कोरिया जहां का सनकी शासक किम जोंग उन लोगों के रोने हंसने और जीने के हर क्षण को खुद तय करता है जिसके आगे कोई नहीं चल सकता लेकिन वहां के लोग भी उसे अपनी किस्मत में मिले राजा के तौर पर अपना कर चल रहे है सालों से वहां के लोग भूखमरी और प्रतिबंधों को झेल रहे है यहां तक की अपने देश का अलग टाइम बैंड चलाने वाले इस सनकी से पूरी दुनिया तौबा करती है. वहां के नियम कायदों को सुनकर हैरान होते लोग अपने अपने देश की तारीफ करना नहीं भूलते लेकिन सोचिए उस देश के लोग उसे फिर भी थोपा हुआ राजा नहीं कह सकते. भारत का खूबसूरत पड़ोसी देश अफगानिस्तान भी पिछले कुछ वक्त से ऐसा ही सब झेल रहा है वहां राज है तालिबान का. किम को उत्तर कोरिया विरासत में मिला और तालिबान ने एक पूरे देश अफगानिस्तान को जबरदस्ती हथिया लिया.
दुनिया चुपचाप बस देख ही रही है
किम की सनक के चलते उत्तर कोरिया वो दुनिया के सुपरपावर की सजा के तौर पर प्रतिबंध झेल रहा है लेकिन अफगानिस्तान के नागरिकों के सामने शायद ये विकल्प भी नहीं है. तालिबान की तबाही का हर एक मंजर पूरी दुनिया चुपचाप बस देख ही रही है. अब तो तालिबान किम की सनक से भी आगे निकलता दिख रहा है किम के देश में चाहे लोगों पर अजीबोगरीब कानून हो लेकिन किम के देश में संगीत और बैंड बजवाए जाते है क्योंकि सनकी किम खुद उसका शौकीन है. लेकिन अफगानिस्तान के नागरिकों की किस्मत शायद इससे भी बदतर है.
अफगानिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार अब्दुलहक ओमेरी ने हाल ही में एक वीडियो पोस्ट की जिसमें हथियारबंद व्यक्ति को संगीतकारों पर हंसते और दूसरे को वीडियो तैयार करते देखा जा सकता है. दरअसल,अफगानिस्तान के पाक्तिया प्रांत में तालिबान ने वादकों के सामने ही उनके वाद्ययंत्र जला दिए. इस वायरल वीडियो में संगीतकारों को रोते देखा जा सकता है. ओमेरी ने ट्वीट किया है, 'तालिबान ने संगीतकारों के साज जला दिए. स्थानीय संगीतकार रो रहे हैं. यह घटना अफगानिस्तान के पाक्तिया प्रांत के जाजै अरुब जिले में हुई.
एक के बाद एक प्रतिबंध लगे
इससे पहले तालिबान वाहनों में संगीत बजाना प्रतिबंधित कर चुके हैं. शादियों में संगीत पर प्रतिबंध लगा रखा है और पुरुषों एवं स्त्रियों को अलग-अलग समारोह करने का आदेश दिया है. कठोर कार्रवाई के क्रम में तालिबान ने हेरात प्रांत में कपड़े की दुकानों में लगे पुतलों के सिर अलग करने का आदेश दिया था. कपड़े की दुकानों में इस्तेमाल होने वाले पुतलों का सिर काटने के पीछे तालिबान ने तर्क दिया है कि यह शरिया कानून के खिलाफ है.
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तालिबान लोगों की जिंदगी को शायद कुछ समझता ही नहीं आपको याद होगा कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में कब्जे के बाद तालिबान ने शरिया का कानून लागू करना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में एक अफगान लोक गायक की गोली मारकर हत्या कर दी. एक निर्दोष गायक फवाद अंद्राबी तालिबानियों ने इसलिए गोली से उड़ा दिया वो उन्हें पंसद नहीं आया. यानि अफगानी नागरिकों की जान की कीमत तालिबानियों के मूड पर तय होती है.
इससे भी बदतर हालत 2021 के जुलाई में तब देखने को मिली जब अफगान के एक हास्य कलाकार को बर्बरता से हत्या कर दी गई. काबुल पर कब्जे से पहले तालिबान ने हास्य कलाकार खाशा ज्वान के नाम से मशहूर नजर मोहम्मद को थप्पड़ मारने और गाली देने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया बाद में उसे गोली मार कर हत्या कर दी गई. तालिबान को लगता था की ये हास्य कलाकार भी अफगान नेशनल पुलिस का सदस्य था और उसे तालिबानियों ने यातना देकर मार दिया.
कुछ नहीं बदला किसी भी मोर्चे पर
गौरतलब है कि अगस्त 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा और धमाकों की घटनाएं बढ़ गई हैं. तालिबान ने खुले तौर पर महिलाओं और निर्दोष लोगों पर हमले किए हैं. साथ ही तालिबान द्वारा कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए गए हैं.
आप खुद सोचिए 2021 जुलाई में मारे गए हास्य कलाकार खाशा ज्वान हो जो लोगों को हंसाने का काम करते थे , या फिर अगस्त 2021 में मारे गए लोक गायक फवाद अंद्राबी हो या अब वो संगीतकार जिसका वाद्य यंत्र भीड़ के सामने जला दिया गया और वो रोता रहा. या फिर वो हजारों लोग जिन्हें तालिबान ने अपने मन मुताबिक गोलियों से भून दिया वो कैसे शरिया के लिए खतरा हो सकते है. निहत्थे लोगों पर जुल्म ढहाता तालिबान 2022 में भी उतना ही हिंसक और असहिष्षु है जो 2001 में था. कुछ नहीं बदला किसी भी मोर्चे पर.
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