दुनिया पर फिर मंडराया अनाज की कमी और भुखमरी का संकट, रूस ने निलंबित किया यूक्रेन के साथ ये समझौता
रूस-यूक्रेन अनाज समझौता निलंबित होने का असर गहरा होगा. दुनिया के कई देशों में अनाज की कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं. वहीं अफ्रीका समेत दुनिया के कई देशों में अनाज की कमी और भुखमरी का खतरा बढ़ सकता है.
कीव: दुनिया पर एक बार फिर अनाज का संकट मंडरा रहा है. वहीं कई अफ्रीकी और गरीब देश भुखमरी झेल सकते हैं. दरअसल रूस ने शनिवार को कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुए अनाज निर्यात समझौते के क्रियान्वयन को तत्काल निलंबित करेगा. इस समझौते की वजह से यूक्रेन से नौ करोड़ टन से अधिक अनाज का निर्यात हुआ था और वैश्विक स्तर पर खाद्य कीमतों में कमी आई थी.
पुतिन के क्यों उठाया ये कदम
मॉस्को ने इस कदम के लिए क्रीमिया प्रायद्वीप में रूस के काला सागर बेड़े के जहाजों पर यूक्रेन द्वारा शनिवार को कथित तौर पर किए गए ड्रोन हमले को जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि, यूक्रेन ने हमले से इनकार किया है.
रूस ने अनाज निर्यात समझौते के निलंबन की घोषणा संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस द्वारा रूस और यूक्रेन से समझौते को नवीनीकृत करने का आग्रह करने के एक दिन बाद की है. गुतारेस ने अन्य देशों, मुख्य रूप से पश्चिमी देशों से रूस के अनाज और उर्वरक निर्यात को अवरुद्ध करने वाली बाधाओं को दूर करने में तेजी लाने का आग्रह किया था. गुतारेस ने जुलाई में संयुक्त राष्ट्र और तुर्किये के प्रयास से किए गए समझौते को नवीनीकृत करने की जरूरत को रेखांकित किया था. रूस और यूक्रेन का अनाज समझौता 19 नवंबर को समाप्त हो रहा है.
अमेरिकी विदेश मंत्री का बयान
वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अनाज निर्यात समझौते का निलंबन खेदजनक है और उन्होंने “सभी पक्षों से इस आवश्यक, जीवन रक्षक पहल को बरकरार रखने का आग्रह किया.” ब्लिंकन ने शनिवार रात एक बयान में कहा, “इस समझौते को निलंबित करके रूस फिर से युद्ध में भोजन को हथियार बना रहा है, निम्न और मध्यम आय वाले देशों और वैश्विक खाद्य कीमतों को प्रभावित कर रहा है और पहले से ही व्याप्त गंभीर मानवीय संकट और खाद्य असुरक्षा को बढ़ा रहा है.”
संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वसीली नेबेंजिया ने कहा कि रूस के समझौते के नवीनीकरण पर चर्चा करने से पहले उसे विश्व बाजार में अपने अनाज और उर्वरकों के निर्यात को देखने की जरूरत है, जो समझौते की शुरुआत के बाद से कभी नहीं हुआ. वहीं गुतारेस के प्रवक्ता ने कहा था कि दुनियाभर में खाद्य सुरक्षा में योगदान करने के लिए और वैश्विक स्तर पर जीवन के संकट को कम करने के लिए यह जरूरी है.
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