वाशिंगटन: 1996 की बात है, नासा के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि एक उल्कापिंड ने मंगल ग्रह पर जीवन के सबूत दिखाए हैं. बिल क्लिंटन ने 'विस्मयकारी' खोज की सराहना करते हुए एक टेलीविज़न प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डाली. क्लिंटन ने कहा, 'यह हमारे ब्रह्मांड में सबसे आश्चर्यजनक खोज में से एक हो सकता है जिसे विज्ञान ने कभी उजागर किया है. इसके निहितार्थ उतने ही दूरगामी और विस्मयकारी हैं जितने की कल्पना की जा सकती है. राष्ट्रपति ने अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए और फंडिंग को सही ठहराने के दावों का इस्तेमाल किया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल 1984 में अंटार्कटिका में खोजे गए चार अरब साल पुराने चट्टान के टुकड़े ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं, जब नासा के नेतृत्व वाले वैज्ञानिकों के एक समूह ने कहा कि 1996 में इसमें बैक्टीरिया के सूक्ष्म जीवाश्म थे. राष्ट्रपति बिल क्लिंटन सहित कई लोगों द्वारा संदेहास्पद रूप से दावा किया था कि यह मंगल ग्रह पर जीवन का सबूत दिखा सकता है. इसके बाद यह उल्कापिंड वैश्विक उन्माद का कारण बन गया है. पर कई अन्य वैज्ञानिक संशय में थे और आधुनिक तकनीकों ने उन्हें सही साबित कर दिया है. 


आखिर था क्या उन पिंड पर
नए अध्ययन में कहा गया है कि पानी से कार्बनिक पदार्थों के प्रमाण मिले हैं. यानी उल्कापिंड पर जीवन का कोई सबूत नहीं है. यह चट्टान और पानी की एक गांठ से ज्यादा कुछ नहीं है. इसके लिए दशकों तक उस उल्का पिंड का अध्ययन किया गया.  इस नए अध्ययन के लिए एक टीम ने नई तकनीकों का उपयोग करके उल्कापिंड में खनिजों का विश्लेषण किया. यह एक गहरे हरे रंग का खनिज है जिसे कभी-कभी सांप की खाल की तरह देखा जा सकता है. 

यह भी पढ़िएः  हमारी धरती के चारों ओर है एक विशाल बुलबुला, जिसमें कैद पृथ्वी-सूर्य, क्या आपने देखा


वाशिंगटन, डीसी में कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस के विशेषज्ञों ने उल्कापिंड के छोटे नमूनों की जांच की, जिसमें पाया गया कि कार्बन युक्त यौगिक वास्तव में लंबे समय तक चट्टान पर बहने वाले नमकीन, चमकदार पानी का परिणाम हैं. टीम ने पाया कि चट्टान का निर्माण मंगल के गीले और शुरुआती अतीत के दौरान हुआ होगा. एक प्रभाव ने लाल ग्रह से चट्टान को उछाल दिया, इसे लाखों साल पहले अंतरिक्ष में भेज दिया, अंततः पृथ्वी पर उतरा, और 1984 में अंटार्कटिका में खोजा गया. 


भूजल ने कार्बन के छोटे-छोटे गोले बनाए
शोधकर्ताओं का सुझाव है कि अरबों साल पहले मंगल ग्रह के भूजल ने चट्टान की दरारों से गुजरते हुए कार्बन के छोटे-छोटे गोले बनाए. ये वही हैं जो 1990 के दशक में कुछ वैज्ञानिकों को लगता है कि अंटार्कटिका उल्कापिंड के भीतर प्राचीन मंगल ग्रह के आदिम जीवन के प्रमाण थे. उन्होंने कहा कि दरारों के माध्यम से पानी के चलने की एक ही प्रक्रिया पृथ्वी पर हो सकती है और मंगल के वातावरण में मीथेन की उपस्थिति को समझाने में मदद कर सकती है. निष्कर्ष साइंस जर्नल में दिखाई देते हैं.


यह भी पढ़िएः   ट्रेन से दागीं मिसाइलें, जानें नार्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग का क्या है मकसद

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.