हमारी धरती के चारों ओर है एक विशाल बुलबुला, जिसमें कैद पृथ्वी-सूर्य, क्या आपने देखा

मैरीलैंड के बाल्टीमोर में स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट के खगोल भौतिकीविदों के अनुसार, इस बुलबुले के किनारे पर हजारों युवा सितारे हैं. पर इस बुलबुले के भीतर कोई नया तारा नहीं है और न किसी का निर्माण हो रहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 14, 2022, 10:35 AM IST
  • यह बुलबुला कम से कम 15 सुपरनोवा विस्फोटों द्वारा बना है
  • शोध के मुताबिक 14 मिलियन वर्ष पहले कई सुपरनोवा विस्फोट हुए
हमारी धरती के चारों ओर है एक विशाल बुलबुला, जिसमें कैद पृथ्वी-सूर्य, क्या आपने देखा

लंदन: पृथ्वी एक विशाल, 1,000-प्रकाश-वर्ष-चौड़े बुलबुले के केंद्र में है. यह एक नए अध्ययन में पाया गया है. मैरीलैंड के बाल्टीमोर में स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट के खगोल भौतिकीविदों के अनुसार, इस बुलबुले के किनारे पर हजारों युवा सितारे हैं. पर इस बुलबुले के भीतर कोई नया तारा नहीं है और न किसी का निर्माण हो रहा है. 

कैसे बना ये बुलबुला
यह बुलबुला कम से कम 15 सुपरनोवा (विशाल नष्ट होते तारों) विस्फोटों द्वारा बना है.नए अध्ययन में पाया गया कि 14 मिलियन वर्ष पहले कई सुपरनोवा विस्फोटों ने अंतरिक्ष के एक विशाल क्षेत्र के किनारे पर तारे के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री को नष्ट कर दिया, जिससे एक 'सुपरबबल' बन गया. इसके चारों ओर तारे हैं लेकिन भीतर कोई नहीं. 

दरअसल विस्फोटों ने धूल और गैस के बादलों को धकेल दिया जो तारों को बाहर की ओर बनने देते हैं, जिससे एक खाली शून्य पैदा होता है. धूल और गैस के घने बैंड के कारण इस बुलबुले के बाहरी किनारों पर तेज गति से तारे बनने लगे. बुलबुले के अंदर बचे तारे वे थे जो अंदर घूमते थे और जो विस्फोट से पहले बने थे. 

टीम ने इस खोज की तुलना एक मिल्की वे से की, जो 'होल-वाई स्विस चीज़' से मिलता-जुलता है. खगोलविद और सह-लेखक कैथरीन ज़कर ने कहा कि  'यह वास्तव में एक मूल कहानी है; पहली बार हम यह बता सकते हैं कि आस-पास के सभी सितारों का निर्माण कैसे शुरू हुआ. 

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बढ़ रहा इस बुलबुले का आकार

इस नए अध्ययन गैया वेधशाला के डेटा का उपयोग करते हुए एक 3D स्पेसटाइम एनीमेशन बनाया गया है. एनीमेशन ने सभी दिशाओं में पृथ्वी के 500 प्रकाश वर्ष के भीतर सभी युवा सितारों और स्टार बनाने वाले क्षेत्रों का खुलासा किया. स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट में नासा हबल फेलो जुकर कहते हैं, जीब के आकार का बुलबुला निष्क्रिय नहीं है और धीरे-धीरे बढ़ता रहता है, खगोलविदों ने पाया, यह 'लगभग चार मील प्रति सेकंड के साथ बढ़ रहा है. 

सूर्य भी इस बुलबुले में है
हार्वर्ड और स्मिथसोनियन के विशेषज्ञों के साथ काम करते हुए, टीम ने 14 मिलियन वर्षों में गैलेक्टिक विकासवादी इतिहास का पुनर्निर्माण किया. हार्वर्ड के प्रोफेसर और सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स खगोलशास्त्री एलिसा गुडमैन कहते हैं, 'यह एक अविश्वसनीय कहानी है, जो डेटा और सिद्धांत दोनों से प्रेरित है. नई डेटा और डेटा विज्ञान तकनीकों की एक टुकड़ी का उपयोग करते हुए, स्पेसटाइम एनीमेशन दिखाता है कि कैसे सुपरनोवा की एक श्रृंखला इंटरस्टेलर गैस को बाहर की ओर धकेलती है, जिससे सतह के साथ बुलबुले जैसी संरचना बनती है जो स्टार गठन के लिए परिपक्व होती है. 

जब स्थानीय बबल बनाने वाला पहला सुपरनोवा चला गया, तो हमारा सूर्य उससे बहुत दूर था', वियना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सह-लेखक जोआओ अल्वेस कहते हैं. 'लेकिन लगभग पांच मिलियन वर्ष पहले, आकाशगंगा के माध्यम से सूर्य का मार्ग इसे सीधे बुलबुले में ले गया था, और अब सूर्य बुलबुले के केंद्र में लगभग सही बैठता है. सूरज इस बुलबुले के बिल्कुल केंद्र में बैठता है, जिसमें प्रत्येक दिशा में 500 प्रकाश वर्ष नए तारे हैं.निष्कर्ष नेचर पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं. 

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