लाहौर. पाकिस्तान में राजद्रोह के आरोपी परवेज़ मुशर्रफ की जान पे बन आई है, ऐसा लगता है. पाकिस्तानी हाईकोर्ट ने भी उनकी मौत की सज़ा को बरकरार रखा है. अब क्या विकल्प बचता है मुशर्रफ के पास सिवा इसके कि वो पकिस्तान वापस ही न आएं.



अदालत ने बताई वजह 


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लाहौर की अदालत ने जो वजह पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ की मौत की सज़ा के विरुद्ध दायर याचिका को स्वीकार न करने की बताई है वह ज़ाहिर करती है कि मुशर्रफ के पास अब पाकिस्तान में समर्थन के नाम पर कुछ नहीं बचा है. कोर्ट ने कहा कि सर्दियों की छुट्टियों के कारण पूर्ण पीठ उपलब्ध नहीं है इसलिए सुनवाई नहीं हो सकती. 


शुक्रवार को दायर याचिका शनिवार को खारिज 


पकिस्तान के प्रमुख समाचार चैनल डॉन ने इस बारे में जानकारी दी है. डॉन के अनुसार ख्वाजा अहमद तारिक रहीम और अजहर सिद्दीकी की दो सदस्यीय कानूनी पैनल ने शुक्रवार को मुशर्रफ की सज़ा के खिलाफ अर्जी दायर की थी. इस याचिका ने पूर्व राष्ट्रपति पर लगे राजद्रोह की शिकायत से जुडी सभी गतिविधियां, विशेष ट्रायल कोर्ट की स्थापना तथा उसकी कार्यवाही को चुनौती देने की कोशिश की थी. 



मुशर्रफ को एक मौक़ा और मिलेगा 


परवेज़ मुशर्रफ के समर्थन में पाकिस्तान सरकार उतर आई है लेकिन अदालत में उम्मीद के खिलाफ जवाब मिला. सूत्रों के अनुसार यही याचिका जनवरी के पहले सप्ताह में फिर से दाखिल की जाने की अनुमति मिल गई है. जैसा कि सब जानते हैं, पाकिस्तान की विशेष अदालत ने 17 दिसंबर को अपने फैसले में परवेज़ मुशर्रफ को 2-1 के बहुमत के साथ मौत की सजा सुनाई थी.अब 9 जनवरी को दुबारा मुशर्रफ की याचिका पर सुनवाई होनी है. 


अब मुशर्रफ की वापसी मुमकिन नज़र नहीं आती 


देशद्रोह केस में मौत की सज़ा पाए पूर्व सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ का पाकिस्तान लौटने की संभावना कम ही है. मुशर्रफ मार्च 2016 में इलाज के लिए दुबई गए थे और वहां से उन्होंने अपनी सुरक्षा एवं सेहत को आधार बता कर अब तक पकिस्तान वापसी नहीं की है. अब फांसी के फंदे पर लटकने के लिए इस 76 साल की उम्र में वे वापसी करेंगे इसकी उम्मीद उन्हें भी अपनेआप से कम ही होगी.


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