नई दिल्ली.  भारतीय सेना की समस्या इतनी उलझी हुई है कि चुनौती बन गई है. दो माह बाद सर्दियां शुरू होने वाली हैं. गलवान सीमा पर भयंकर सर्दी में अब मुश्किल ये पैदा हुई है कि किस तरह जाड़ों में होगी यहां पर सैनिकों को रसद की आपूर्ति.


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कई मोर्चों पर हैं मुश्किलें 


पूर्वी लद्दाख स्थित भारतीय सीमा पर में चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी के अतिरिक्त हॉट स्प्रिंग, गोगरा पोस्ट, डेपसांग और पैंगोंग त्सो में घुसपैठ की हुई है जिससे सैन्य बलों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. चीन की सेना की पिछली धोखेबाजी को ध्यान में रख कर भारतीय जवानों फ्रंट लाइन पर तैनाती बढ़ाई गई है. अब तीन अतिरिक्त डिवीजन की तैनाती के फैसले के साथ भारतीय सेना के सामने कई मुश्किलें पेश आ रही हैं. 


समय कम है और चुनौती बड़ी है 


सर्दियां दूर नहीं हैं. सेना मुख्यालय का कहना है कि सेना इन चुनौतियों से जूझने के लिए युद्धस्तर पर अपनी तैयारियों को अंजाम देना शुरू कर दिया है. भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल बलबीर सिंह संधू का कहना है कि वैसे समय तो बहुत कम है और ये चुनौती भी काफी बड़ी है, इसलिए ऐसा हो पाना बहुत आसान नहीं होगा. 


सर्दियों में है तिहरी समस्या 


संधू के अनुसार तीस हज़ार जवानों को वहां कब तक और कितने दिन तैनात रखा जा सकेगा, ये एक बड़ा प्रश्न है.  इसके अलावा गलवान घाटी  या हॉट स्प्रिंग या गोगरा पोस्ट, डेपसांग या पैंगोंग इस पूरे इलाके में सीधे पहुंचना सम्भव नहीं है. तापमान की बात करें तो  सर्दियों में यहां का शून्य से 25-30 डिग्री नीचे तक चला जाता है. इतना ही नहीं  यहां चौदह हज़ार फ़ीट से लेकर सत्रह हज़ार फीट की ऊंचाई पर  हवा में ऑक्सीजन की मात्रा भी कम होती है.


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