नई दिल्ली.  हैरानी की बात है कि मीडिया को इस बात में शक क्यों है. जो बिडेन चुनाव लड़ने से पहले ही चीन के समर्थन में बयान देते रहे हैं अब वे चुनाव जीतने के बाद कहाँ बदल जाने वाले है.  डोनाल्ड ट्रम्प का विरोध करने के लिए चीन को समर्थन देना वैसे भी न समझदारी है न देशप्रेम. ऐसे में जो ट्रम्प ने कहा है वो बात खरी है - ''ट्रम्प जीते तो जीतेगा अमेरिका और बिडेन जीते तो जीतेगा चीन''


''मैं जीता तो अमेरिका जीतेगा''


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डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि मैं जीता तो जीतेगा अमेरिका और बिडेन जीते तो जीतेगा चीन. इस बात में संदेह कहाँ हैं और संदेह किसको है!  शुरू से ही ट्रम्प ने चीन को न समर्थन दिया न उसे खुश करने वाला कोई बयान दिया. अब चुनाव में जाहिर ही है कि ट्रम्प का मुख्य मुद्दा चीन है और समानांतर तौर पर दूसरा मुख्य मुद्दा पर्यावरण है. 


राष्ट्रपति की रैलियों में गूंजे दोनों मुद्दे 


इस बार चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प ने बहुत सारे मुद्दों की बात नहीं की. उनके दो मुख्य मुद्दे थे -पर्यावरण और चीन का मुद्दा. ऐसे में अपनी दूसरी पारी की तैयारी कर रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका के लोगों से पर्यावरण और चीन के मसले पर वोट मांगे हैं. डोनाल्ड ट्रम्प को पूरा विशवास है कि अमेरिकन लोगों में जितनी पर्यावरण के मुड़ी को लेकर जागृति है उतनी ही चीन के मुद्दे पर नफरत.


नस्ली भेदभाव भी है एक मुद्दा  


इन राष्ट्रपति चुनावों में पर्यावरण और चीन के अतिरिक्त  नस्ली भेदभाव भी एक अहम् मुद्दा है. लगातार मतदान के दिन के करीब आते जाने के साथ ही रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक प्रत्याशियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तीव्र होता चला जा रहा है. ऐसे में पर्यावरण और चीन के समानांतर अहम मुद्दों मन स्वास्थ्य सेवा मानसिक स्वास्थ्य नस्ली भेदभाव जैसे मुद्दे छाये हुए हैं.


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