नई दिल्लीः पाकिस्तान का पीएम इमरान खान अपनी हुकूमत का फैसला बिना चीन के इशारों के नहीं करता. इतना ही नहीं पाकिस्तान की फौज हो या ISI, सब चीन के इशारे पर ही चलते हैं, और इमरान खान पर ISI ने शिकंजा ऐसे कसा है कि उनके फोन तक टैप होते हैं.


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आप भले हैरान हों मगर ये सच है कि पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान ने जो बातें कबूल की हैं, उनसे ये तय हो गया है कि चीन के हुक्म का ग़ुलाम है पाकिस्तान. और पाकिस्बितान की हर महत्वपूर्ण संस्था पर चीन का है कब्जा. बिना चीन के इशारे के पाकिस्तान में एक पत्ता भी नहीं हिलता. खास बात ये है कि चीन,  पाकिस्तान की फौज और ISI के ज़रिए वहां की सरकार पर पूरा नियंत्रण रखता है.  पाकिस्तान सरकार की एक-एक बात चीन तक जाती है जिसके ज़रिए ड्रैगन ने पाकिस्तान को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया है.


ड्रैगन के हुक्म का गुलाम इमरान
पाकिस्तान में जम्हूरियत का क्या हाल है किसी से छिपा नहीं है. ISI और पाक आर्मी ही यहां की हुकूमत तय करती है, उसे चलाती है, और जब चाहे उसे सत्ता से बेदखल कर देती है. यही वजह है कि पाकिस्तान में सरकार एक कठपुतली की तरह काम करती है. और इस कठपुतली की डोर है चीन के हाथों में.



पर आप सोच नहीं सकते कि ये सब बातें पाकिस्तान पर अब किसी आरोप की तरह नहीं हैं, बल्कि अब खुद पीएम इमरान ख़ान ने बड़ी शान के साथ एक इंटरव्यू में इन बातों का खुलासा किया है. 


यहां देखिए पाक पीएम इमरान खान का इंटरव्यू


पीएम इमरान ने किया कबूल


दरअसल, सीपेक यानी चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर के ज़रिए चीन ने पाकिस्तान को गुलाम बना लिया है. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अपने ताज़ा इटरव्यू में ये क़बूल किया है कि चीन के कहने पर ही उन्होंने जनरल असीम सलीम बाजवा को 62 अरब डॉलर के सीपेक प्रोजेक्ट का चेयरमैन बनाया था.



पाकिस्तान के न्यूज चैनल एक्सप्रेस न्यूज के एंकर मंसूर खान ने जब इमरान से करप्ट 
बाजवा को सीपेक का चेयरमैन बनाए जाने पर सवाल किया तो इमरान हो गए क्लीन बोल्ड...अपना बचाव करते हुए जो जवाब उन्होंने दिया,...उसमें वो खुद कि कदर घिर गए, ये उन्हें इल्म ही ना रहा. इमरान ने इंटरव्यू में कहा     जनरल असीम बाजवा को हमने सीपेक पर लगाया था उसकी बहुत बड़ी वजह ये थी कि, असल में सीपेक के अंदर जो ग्वादर है, वो सीपेक का फोकल प्वाइंट हैं. जनरल बाजवा सदर्न कमांड के हेड थे.



उधर एक सिक्योरिटी इशू भी है बलोचिस्तान के अंदर,...तो उन सबको देखते हुए,...उनका तजुर्बा है वो चाइनिज के साथ पहले भी काम करते रहे थे और चाइनिज से भी कंसल्ट करके, हमने यही समझा कि हमारे पास बेहतरीन ऑप्शन जनरल बाजवा हैं.


पाकिस्तान में चलती है 'ड्रैगन' की हुक़ूमत
इस इंटरव्यू में इमरान का साफ़ कबूलनामा है कि चीन के कहने पर ही जनरल असीम सलीम बाजवा को इमरान ने 62 अरब डॉलर के सीपेक प्रोजेक्ट का चैयरमैन बना दिया,...जहां उसने जमकर घोटाले किए,पैसे लूटे और भ्रष्टाचार का नया रिकॉर्ड बना दिया. लेकिन करप्शन के कई चार्जेज होने के बावजूद इमरान ने सीपैक से जनरल बाजवा को नहीं हटाया. क्या ये चीन का ही प्रेशर नहीं है जिसके आगे इमरान सिर झुकाए बस बिजिंग का ऑर्डर बजाने वाले बन कर रहे गए हैं.


यहां भी देखिए सनसनीखेज इंटरव्यू, पाक पीएम का कबूलनामा


 


चीन रखता है पाक पर नजर
दरअसल, चीन ने सीपेक को बनाया है पाकिस्तान हथियाने का औज़ार. क्योंकि सीपेक में हुए घोटाले और लेतलतीफी को लेकर चीन ने इस परियोजना में फिलहाल पैसे देने बंद कर दिए हैं, और इसी बहाने को इस प्रोजेक्ट पर चीन के खर्च हुए अरबों डॉलर का देनदार पाकिस्तान को बना दिया है. पाकिस्तान अब चीन का ये कर्ज कभी उतार नहीं पाएगा,...और ड्रैगन के हर हुक्म का गुलाम बना रहेगा. लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है,...चीन के इशारे पर अगर सीपेक के चैयरमैन की नियुक्ति होती है,...तो ज़ाहिर है कि चीन, पाकिस्तान की हर संस्था पर नज़र रखता है और उसके मुखिया की नियुक्ति में भी चीन की दखल है चाहे वो ISI हो या फिर पाक आर्मी. इसकी तस्दीक़ इस बात से होती है, कि इमरान खान खुद कोई फैसला नहीं ले सकते, क्योंकि उनकी हर चाल पर ISI की पहरेदारी है. बिना इजाज़त इमरान कोई फैसला तो छोड़िए, किसी से बात तक नहीं कर सकते. इमरान की हर कॉल ISI टेप करती है, हर मिलने जुलने वालों पर ISI की नजर रहती है. 


इसी इंटरव्यू में इमरान ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि  जो मैं करता हूं सब कुछ ISI को पता होता है. क्योंकि ISI दुनिया की आउटस्टैंडिंग इंटेलिजेंस एजेंसी है. तो जो मैं करता हूं,...जो टेलीफोन करता हूं, जो भी मुझे कॉन्टैक्ट करता है, सब कुछ ISI को पता होता है, IB को भी पता होता है ISI को भी पता होता है. 


इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार ने आपत्ति की,...पूछा कि क्या टेक्निकली सही है यानी पीएम की हर बात ISI को पता होनी चाहिए? लेकिन पाकिस्तान के पीएम इमरान उसी बेशर्मी से बातें दोहराते रहे. दुनिया जानती है कि खुद को आज़ाद लोकतंत्र कहने वाले किसी देश में उसके मुखिया के फोन कोई एंजेसी टेप नहीं कर सकती. ना ही इस तरह की पहरेदारी करती है जैसा पाकिस्तान में इमरान ने खुद कबूल किया है. 


पाक आर्मी सुपर...गुलाम ही बनता है 'लीडर'!
इमरान लाख सफाई दें,...लेकिन फौज़ और ISI के शिकंजे पर उनके इस ताज़ा बयान की पुष्टि उनके तब के बयान से भी होती है,...जब इमरान सत्ता में नहीं थे. तब तो उन्होंने यहां तक कह डाला था कि फौज ही पाकिस्तान में अपने कुत्तों को लीडर बनाती है. इमरान ने कहा था कि ये जनरल फिर नेचुरल लीडरशिप नहीं आने देते, ऊपर अपने कुत्तों को सामने लेकर आते हैं.



फौज मैन्युफैक्चर करती है लीडर को,...उस इंसान को लेकर आते हैं जिसे वो कंट्रोल कर सकें. और कंट्रोल किसे करते हैं,...या वो करप्ट होता है, या उसके ऊपर करप्शन की फाइल होती है. जिसे वो कंट्रोल करें,...या फिर वो नाकाबिल इंसान होगा, जिसकी खुद की कोई अंडरस्टैंडिंग ही नहीं होगी.


पाक में पीएम की हुकूमत नकली
दरअसल पाकिस्तान में पीएम की हुकूमत नकली है और इस पर फौज और ISI का ये शिकंजा बेहद पुराना है. इनके साये में पाकिस्तान किस कदर फंसा हुआ है,...इसकी कई बानगी वक्त-वक्त पर आती रही है. पिछले साल जब पाकिस्तान के पीएम इमरान और आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा चीन के दौरे पर थे, तो इमरान के बिजिंग पहुंचने के कुछ घंटे पहले ही बाजवा बिजिंग पहुंच चुके थे.



ये साफ़ बताता है कि एक तरफ़ पाक फौज ही पाकिस्तान में हुकूमत तय करती है और दूसरी तरफ़ इसकी डोर चीन के हाथों में है. यही वजह है कि इमरान को दुनिया का पहला कठपुतली पीएम का खिताब मिला हुआ है. जिसका भुगतान पाकिस्तान की अवाम हर मोर्चे पर कर रही है. 


'पीएम इमरान' का आखिरी इंटरव्यू! 
सवाल ये भी है कि आखिर इमरान को टीवी चैनल पर ऐसे इंटरव्यू देने की ज़रूरत क्यों आ पड़ी? क्या वो खुद पर उठाए जा रहे सवालों के जवाब में अपनी सफाई दे रहे थे? क्या सफाई देते-देते इमरान फिसल गए? जो चीन और ISI से जुड़ा बेहद आपत्तिजनक खुलासा कर डाला? या सचमुच इमरान ने जानबूझ कर ऐसा किया ताकि जब उन्हें सत्ता से बेदखल किया जाए तो ये कह सकें कि पाक पीएम की कुर्सी तो शिकंजे में फंसी थी? क्या इमरान को इल्हाम हो गया है कि अब उनकी सत्ता जाने वाली  है? क्या आर्मी चीफ अब जल्द ही करने वाले हैं इमरान का तख्तापलट?  क्या ये इमरान का पीएम के तौर पर आखिरी इंटरव्यू साबित होगा?


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