नई दिल्लीः अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउची ने अमेरिकी सांसदों से कहा कि भारत ने कोरोना को लेकर गलत धारणा बना ली. उन्हें लगा कि वहां Covid-19 का प्रकोप खत्म हो गया है. उन्होंने समय से पहले देश में लॉकडाउन हटा दिया. नतीजा यह हुआ कि वह गंभीर संकट में फंस गया है.


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भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित है और कई राज्यों में अस्पताल स्वास्थ्य कर्मियों, टीकों, ऑक्सीजन, दवाओं और बिस्तरों की कमी से जूझ रहे हैं.


राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार हैं डॉ फाउची
फाउची ने Covid-19 प्रतिक्रिया पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीनेट की स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम एवं पेंशन समिति से कहा, “भारत अभी जिस गंभीर संकट में है उसकी वजह यह है कि उन्होंने कोरोना के बढ़ रहे प्रभाव को समझने में भूल की. उन्होंने समय से पहले सब खोल दिया और अब ऐसा वायरस के प्रकोप का चरम वहां देखने को मिल रहा है.



उसका विनाशकारी प्रभाव दुनिया देख रही है. डॉ फाउची अमेरिका के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिजीजेज’ (एनआईएआईडी) के निदेशक हैं और राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार भी हैं.


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छह करोड़ एस्ट्राजेनेका टीके दूसरों को देगा अमेरिका
सुनवाई की अध्यक्षता कर रही, सीनेटर पैटी मुर्रे ने कहा कि कोरोना से हुई भारत की वर्तमान स्थिति इस ओर इशारा करती है कि अमेरिकी यहां तब तक वैश्विक महामारी को समाप्त नहीं कर सकते जब तक कि यह सब जगह समाप्त न हो जाए.



उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि बाइडन प्रशासन विश्व स्वास्थ्य संगठन में फिर से शामिल होकर वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है और चार जुलाई तक छह करोड़ एस्ट्राजेनेका टीके दूसरे देशों को देने के लिए प्रतिबद्ध है. 


स्थिति को कभी कम न आंके अमेरिका
अमेरिका भारत में जारी प्रकोप से क्या सीख सकता है? इस सवाल पर फाउची ने कहा, “सबसे महत्त्वपूर्ण चीज यह है कि स्थिति को कभी कम नहीं आंके.”
उन्होंने कहा, “दूसरी चीज जन स्वास्थ्य के संबंध में तैयारी है, तैयारी जो भविष्य की महामारियों के लिए हमें करनी है कि हमें स्थानीय जन स्वास्थ्य अवसंरचनाओं के निर्माण को जारी रखने की जरूरत है.”


दुनिया में कहीं भी खतरा तो अमेरिका में भी खतरा
फाउची ने कहा कि एक और सबक जो हमें सीखने की जरूरत है कि यह वैश्विक महामारी है जिसे वैश्विक प्रतिक्रिया की जरूरत है और हर किसी को जिम्मेदारी की तरफ ध्यान देना होगा कि यह सिर्फ अपने देश के प्रति नहीं है बल्कि दूसरे देशों के साथ शामिल होने की भी जरूरत है ताकि हम हस्तक्षेप कर सकें खासकर टीकों के लिहाज से.


उन्होंने कहा, “क्योंकि अगर दुनिया के किसी भी हिस्से में वायरस का प्रकोप जारी रहता है तो यहां अमेरिका में भी उसका खतरा है खासकर वायरस के अन्य प्रकारों का और आप जानते हैं कि भारत में एक प्रकार है जो नया प्रकार है. 


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समय रहते वायरस प्रसार पर रोक जरूरी
इसलिए ये कुछ सबक हैं जो भारत में जारी स्थिति को देखकर लिए जा सकते हैं.” केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बुधवार तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोविड-19 से एक दिन में रिकॉर्ड 4,205 लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या 2,54,197 हो गई जबकि कोरोना संक्रमण के 3,48,421 नये मामले सामने आए.
सीनेटर मुर्रे ने कहा कि भारत में घातक प्रकोप इस बात की याद दिलाता है कि क्या हो सकता है अगर वायरस के प्रसार पर लगाम न लगाई जाए तो, जब यह ज्यादा संक्रामक रूप ले ले, ज्यादा घातक किस्में तैयार हो जाएं और जब यह स्वास्थ्य ढांचों पर अत्यधिक दबाव डाल दे.


46 प्रतिशत आबादी को लगा टीका
इस बीच, रोग नियंत्रण एवं बचाव केंद्र (सीडीसी) के आंकड़ों के मुताबिक देश की 58 प्रतिशत आबादी को टीके की पहली खुराक और करीब 46 प्रतिशत आबादी को दूसरी खुराक दी जा चुकी है. वहीं, 34 प्रतिशत अमेरिकी आबादी को पूरी तरह टीका लग चुका है.



इससे पहले फाउची ने अनुमान जताया था कि देश को पूरी तरह सुरक्षित होने के लिए 70 से 85 प्रतिशत आबादी में रोग प्रतिरक्षा उत्पन्न करने यानि टीका लगाने की जरूरत है.


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