भारत ने POK पर दबाव बनाया, क्या चीन ने इसलिए पूर्वी सीमा पर मोर्चा खोला है?
पाकिस्तान की आतंक परस्त हरकतों का जवाब देने के लिए भारतीय सेना पाक पर दबाव बनाया है. POK पर हुए इस दबाव से पाकिस्तान के सामने कांपने वाली स्थिति है. क्योंकि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक को पाक इतनी जल्दी तो नहीं ही भूल सकता. ऐसे में चीन सामने आया है.
नई दिल्लीः सारी दुनिया में कोरोना संकट जारी है. लेकिन भारत के लिए अकेला कोरोना संकट नहीं है. इस देश के पास दो संकट पहले से मौजूद हैं. एक पाकिस्तान संकट और दूसरा चीन संकट. जनवरी से अब तक नजर डालें तो कश्मीर घाटी आतंकी गतिविधियों से सुलगती रही है.
जिसका भारतीय सेना और जवानों ने बड़ी बहादुरी से मुंह तोड़ जवाब दिया है. अप्रैल में लगातार हुई आतंकियों से मुठभेड़ के बाद भारत ने पीओके पर दबाव बनाया था. इसके बाद पाकिस्तान सकते में आ गया था. सीमा पर उसके फाइटर प्लेन उड़ान भरते दिखे थे.
लेकिन, इसी बीच चीनी सीमा से एक खबर आई
यह सारी क्रियाएं-प्रतिक्रियाएं चल ही रही थीं, कि भारत की चीन सीमा पर हलचल की खबरें आ गई थीं. पूर्वी लद्दाख और उत्तर सिक्किम के नाकू ला दर्रे के पास हाल में भारत और चीनी सैनिकों के बीच तीखी झड़पें हुई थीं, जिसमें दोनों सेनाओं के कई सैनिक घायल हो गए थे. जानकारी के मुताबिक, भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच पहली झड़प पांच मई देर शाम पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर हुई थी.
चले थे लात-घूंसे, पथराव भी हुआ
दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच टकराव अगली सुबह बातचीत के बाद समाप्त हुआ. दोनों पक्षों में कई सैनिकों को मामूली चोटें आयीं, क्योंकि उनके बीच घूंसे चले और एक-दूसरे पर पथराव भी किया.
सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प की इस घटना में करीब 200 जवान शामिल थे.
मंगलवार को उड़े विमान
इसके बाद 12 मई मंगलवार को एक और घटना सामने आई. चीन ने फिर हिमाकत की. इस बार उसका कारनामा रहा कि लद्दाख में LAC के पास मंगलवार को सीमा पर चीन के हेलीकाप्टर देखे गए. इसके बाद से ही भारतीय सेना सतर्क हो गई है. सीमा पर चीनी हेलीकॉप्टर दिखाई देने के बाद भारतीय लड़ाकू विमानों ने भी उड़ान भरी.
इन सबके बीच डोकलाम को याद रखना जरूरी
चीन की विस्तारवादी नीति से दुनिया वाकिफ है. भारत के लिए उसका यह रवैया दोतरफा है. पहला यह कि चीन भारत में अपना व्यापार क्षेत्र भी देखता है तो दूसरी तरफ सीमा से जुड़े भारतीय भूमि और प्रदेशों पर ड्रैगन वाली नजर रखता है. कई बार अलग-अलग तरीकों से वह भारतीय भूमि के हिस्सों को अपना बता चुका है. घटनाओं के इन क्रम में हमें दो साल पहले डोकलाम के हुए विवाद को नहीं भूलना चाहिए.
यह है डोकलाम का मसला
तारीख थी 16 जून 2017. भारत का चीन और भूटान से लगा एक क्षेत्र है डोकलाम. इस दिन खबर मिली कि चीन इस एरिया में सड़क बना रहा है. भारतीय सेना इस सुचना पर तुरंत अलर्ट हो गई और फिर चीन के इस निर्माण कार्य को रोक दिया गया. स्थिति फेस ऑफ यानी आमने-सामने और आर-पार वाली हो गई. दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सामने खड़ी थीं.
पूरे 73 दिन यह मामला तनाव पूर्ण बना रहा. इस दौरान चीन की मीडिया ने कई बार भारत को युद्ध और गंभीर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी. लेकिन 28 अगस्त को दोनों देशों ने इस मसले को सुलझा लिया.
चीन कभी बाज नहीं आया है
सुलझा लिया, यह कह देना बहुत व्यापक अर्थ में नहीं हैं, क्योंकि चीन अपनी कुचेष्टाओं से कभी बाज नहीं आया है. भारत और चीन के बीच लगभग 3.5 हजार किलोमीटर की एलओसी के बीच कई जगहें ऐसी हैं जहां सीमा रेखा को लेकर दोनों देशों के बीच हमेशा मतभेद रहा है. इस वजह से अक्सर भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों के घुसपैठ की खबरें आती रहती हैं. चीन इन क्षेत्रों को अपना हिस्सा मानता है और घुसपैठ की बात से इंकार करता है.
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इस बार चीन की मंशा क्या? पाक की मदद
पाकिस्तान की आतंक परस्त हरकतों का जवाब देने के लिए भारतीय सेना पाक पर दबाव बनाया है. POK पर हुए इस दबाव से पाकिस्तान के सामने कांपने वाली स्थिति है. क्योंकि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक को पाक इतनी जल्दी तो नहीं ही भूल सकता. ऐसे में चीन सामने आया है.
पश्चिमी सीमा पर बढ़ रहे दबाव को कम कराने के लिए चीन ने पूर्वी सीमा पर से मोर्चा खोल दिया है. मंगलवार को इस सीमा से उड़ान भरने वाले चीन के हेलीकॉप्टर ऐसी ही कुचेष्टा और मंशा की चुगली करते हैं.
भारत-चीन राजनयिक संबंधों का 70वां साल
जब यह मसला जोर-शोर से उठा तो चीन शांति की बात करने लगा. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने हाल ही में सैनिकों के बीच हुए संघर्ष के बारे में कहा कि दोनों देशों को अपने मतभेदों को ठीक तरह से सुलझाना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'चीनी सीमा पर तैनात हमारे सैनिक बॉर्डर पर शांति और धैर्य रखते हैं. यहां तक कि झाओ ने आक्रामक रवैये को आधारहीन बता दिया. उन्होंने कहा, भारत और चीन के राजनयिक संबंधों का यह 70वां वर्ष है. दोनों ही देशों ने कोरोना से एकजुट होकर लड़ने का फैसला लिया है.
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