समंदर में मरेगा चालबाज चीन! जानिए कैसे?
अमेरिका के बाद अब भारत (India) ने दक्षिण चीन सागर (South Chine Sea) में चालबाज चीन को चारों खाने चित्त करने का प्लान बनाया है. भारत ने समंदर में जिनपिंग (Xi Jinping) को पीटने के लिए वियतनाम के साथ समुद्री अभ्यास करने का फैसला किया है. दोनों देशों की नेवी दक्षिण चीन सागर में अभ्यास कर रही है, जिसमें भारत की तरफ से युद्धपोत INS KILTAN हिस्सा ले रहा है.
नई दिल्ली: दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में चीन की दादागीरी रोकने के लिए भारत और वियतनाम ने हाथ मिलाया है. दोनों देशों की नेवी (Navy) संमदर में युद्धाभ्यास कर रही है. दो दिन के समुद्री अभ्यास में दोनों देश का टारगेट समुद्री रास्ते की सुरक्षा के लिए तैयारियां करना है. ताइवान के बाद वियतनाम से भारत की बढ़ती नजदीकियों से चीन परेशान है. भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. दक्षिण चीन सागर में चीन पहले ही अमेरिका की बढ़ती आक्रामकता से परेशान है जहां अमेरिका ने पहले ही युद्धपोत USS निमित्ज और USS रोनाल्ड रीगन को तैनात कर रखा है.
अब भारत-वियतनाम (India-Vietnam) के सैन्य अभ्यास से चीन बेचैन हो उठा है. भारत के गुट में वियतनाम के आने से चीन की परेशानी बढ़ गई है. गौरतलब है कि वियतनाम के पास 1650 किमी. का समुद्री तट है जहां चीन (China) अक्सर अतिक्रमण करने की कोशिश करता है जबकि चीन के साथ उसकी जमीनी सीमा 1300 किमी. लंबी है. चीन और वियतनाम (Vietnam) दोनों कम्युनिस्ट देश हैं दोनों के बीच 50 साल से समुद्री और ज़मीनी सीमा को लेकर संघर्ष चल रहा है.
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गलवान के बाद समंदर में चीन को मात!
पूर्वी लद्दाख में चीन की चालबाजी को जवाब भारत बहुत आक्रामक तरीके से देता आ रहा है. लेकिन अब जिस तरह से भारत ने दक्षिण चीन सागर में चीन की घेराबंदी शुरू की है उससे एक बात साफ है कि चीन को चौतरफा पीटना का मोदी का प्लान बिल्कुल सही तरीके से चल रहा है. वियतनाम के पास भारत से रक्षा खरीद के लिए 500 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन है. भारत चीन को मुहंतोड़ जवाब देने के लिए वियतनाम को ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile) बेचना चाहता है जो परंपरागत हथियारों के साथ 300 किलोग्राम परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है और 650 किमी. तक दुश्मन के ठिकानों को पलक झपकते बर्बाद कर सकती है.
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आगे ब्रह्मोस की ताकत और बढ़ाने के लिए भारत और रूस ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज भी 800 किमी. से 1500 किमी तक करना चाहते हैं. जिसके बाद चीन के 6 शहर शेनजेन, ग्वांगझू, चेंगदू, चोंगकिंग, डोंगगुआन और वुहान इसकी जद में आ जाएंगे. वियतनाम भी मध्यम दूरी की ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को दक्षिण चीन सागर में तैनात अपनी पनडुब्बियों में लगाना चाहता है. इसके अलावा मध्यम दूरी की ब्रह्मोस मिसाइल को वियतनाम लड़ाकू विमानों, समुद्री जहाजों में तैनात कर सकता है. जिसे से जमीन और समंदर से आसानी से ल़ॉन्च किया जा सकता है.
1971 की जंग में वियतनाम ने निभाई थी दोस्ती
पाकिस्तान के साथ 1971 की जंग में अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था और भारत पर हमला करना चाहता था. अमेरिका ने बंगाल की खाड़ी में युद्धपोत USS इंटरप्राइज को रवाना कर दिया था. लेकिन वियतनाम ने अमेरिकी युद्धपोतों को रोककर भारत की मदद की थी. लिहाजा भारत हमेशा वियतनाम को अपना निकटतम सहयोगी मानता है. दो दिन पहले भारत का युद्धपोत 15 टन राहत सामग्री लेकर वियतनाम के हो चो मीन्ह शहर के नाहरॉन्ग बंदरगाह पर पहुंचा था जो वहां के बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए मोदी सरकार ने भेजी थी.
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भारत ने वियतनाम के साथ रक्षा से लेकर पेट्रोकेमिकल तक सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. चीन को रोकने के लिए भारत ने तेज गति से चलने वाली 12 नावें भी वियतनाम बॉर्डर गार्ड को दी हैं. जबिक वियतनाम ने हनोई में भारत को अपने बंदरगाह नौसेना के इस्तेमाल के लिए दिए हैं. वियतनाम और भारत की दोस्ती से चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की नींद उड़ी हुई है.
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