कट्टरपंथी कानून के बावजूद कैसे `आजादी` का रास्ता ढूंढ रही हैं ईरानी लड़कियां?
किताब `City of Lies: Love, Sex, Death, and the Search for Truth in Tehran` में ईरानी महिलाओं को लेकर कई चौंकाने वाली जानकारी दी गई थी.
नई दिल्ली. पश्चिम एशियाई देश ईरान एक बार फिर हिजाब के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन देख रहा है. एक महिला की मौत ने ईरानी महिलाओं को इस्लामिक सरकार के खिलाफ भड़का दिया है. यह पहली बार नहीं है जब ईरानी महिलाएं हिजाब उतार फेंकने के लिए प्रदर्शन कर रही हैं. पहले भी ऐसे जोरदार प्रदर्शन हुए हैं. दरअसल 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान में जिस तरह रूढ़िवाद बढ़ा, उससे महिलाओं को तारतम्य बिठा पाने में दिक्कत होती रही है. लेकिन लगभग चार दशक बाद अब ईरान में कई 'अनकहे' परिवर्तन आ चुके हैं. इनका जिक्र ईरान पर लिखी गई एक मशहूर किताब में हुआ.
ईरान पर किताब लिखने वाली ईरानी मूल की ब्रिटिश पत्रकार रमिता नवई ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए थे. उन्होंने अपनी किताब 'City of Lies: Love, Sex, Death, and the Search for Truth in Tehran' में ईरानी महिलाओं को लेकर कई चौंकाने वाली जानकारी दी थी. भले ही ईरान की सरकार ने कपड़ों को लेकर कई पाबंदियां लागू कर रखी हों लेकिन महिलाओं ने इसकी काट अपने तरीके से खोज निकाली है.
'वर्जिनिटी को नैतिकता से जोड़कर देखा जाता है'
रमिता अपनी किताब में लिखती हैं- समाज में वर्जिनिटी को नैतिकता से जोड़कर देखा जाता है. साथ ही इससे इससे पारिवारिक मूल्यों का भी अंदाजा लगाया जाता है. तेहरान में ऐसी मान्यता है कि लड़कियों को अपने खुले बाल भाई या फिर चाचा के सामने भी नहीं दिखाने चाहिए. कपड़ों के लाल रंग समेत कई बार तेजी से हंसने को भी नैतिकता के पैमानों पर तौला जाता है.
वर्जिनिटी मतलब क्या?
नवई एक वास्तविक फीमेल कैरेक्टर तहमिनेह के हवाले से कहती हैं- लेकिन ईरान में वर्जिन होने का यह मतलब नहीं कि किसी ने शारीरिक संबंध नहीं बनाए हैं. इसी क्रम में ईरान नए लड़के-लड़कियों के बीच ला-पाई सेक्स (la-paee sex) का जिक्र गया है. यानी सीधे शारीरिक संबंध बनाने की बजाए कुछ अन्य वैकल्पिक रास्ते अपनाए जा रहे हैं.
महिलाओं के व्यवहार को निर्धारित करने की बहसें
रमिता अपनी किताब में कहती हैं कि 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद से ही देश में स्कॉलर्स सेक्स पर लंबी चर्चा करते रहे हैं और फिर बाद में उसकी आलोचना करते रहे हैं. रेडियो और टेलिविजन पर इसे लेकर हिदायतें भी दी जाती हैं. सरकारी पोस्टर्स पर 'बिना हिजाब वाली ड्रेस' और दोहरी नैतिकता को एकसाथ जोड़ा जाता है.
ईरानी लोगों ने तारतम्य बिठाना सीख लिया है
रमिता किताब में कहती हैं कि ईरानी लोगों ने हर उस चीज के साथ तारतम्य बिठाना सीख लिया है जो देश में बैन हैं. इसके लिए वो अल्कोहल का उदाहरण देते हुए कहती हैं यह आपको तेहरान में आसानी के साथ उपलब्ध हो जाएगी.
'क्लोजडोर' में आ रही हैं बदलाव
लेकिन यह सबकुछ खुले में नहीं बल्कि एक क्लोजडोर सोसायटी के रूप में चल रहा है. जहां लड़कियां हिजाब के नीचे हाई-हिल्स पहनती हैं. उनके बॉयफ्रेंड हैं. वो अपनी इच्छा से शारीरिक संबंध बनाती हैं. लेकिन यह सबकुछ 'अनकहे' रूप में चल रहा है. क्योंकि महिलाओं के कपड़ों पर सरकारी कानून समेत समाज के कई अनकहे नियम हैं. लड़कियां अपनी इच्छा से जिंदगी जीने की कोशिश कर रही हैं लेकिन साथ-साथ ही समाज में 'बदनामी' के डर से सीमा रेखा भी खींच रखी हैं.
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