काठमांडू: नेपाली कांग्रेस तथा नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवाद मध्य) का विपक्षी गठबंधन अगली सरकार बनाने के लिये बहुमत हासिल करने में नाकाम रहा है, ऐसे में केपी शर्मा ओली के एक बार फिर देश का प्रधानमंत्री बन गए हैं. ओली सोमवार को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत साबित करने में नाकाम रहे थे, जिसके बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने विपक्षी दलों को सरकार गठन के लिये बृहस्पतिवार रात नौ बजे तक का समय दिया था. ऐसे में राष्ट्रपति ने 69 वर्षीय ओली को एक बार फिर देश का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया.
राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के ऑफिस द्वारा गुरुवार शाम जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि राष्ट्रपति ने केपी शर्मा ओली को फिर से देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. ऐसा जो कि नेपाल के संविधान की धारा 78(3) के अनुसार देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता होने की हैसियत से किया गया है. विपक्षी दल संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के तहत सरकार गठन का दावा पेश करने में नाकाम रहे.
ओली शुक्रवार को लेंगे प्रधानमंत्री पद की शपथ
शुक्रवार को ओली शीतल निवास में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. शपथ लेने के तीस दिन के अंदर सदन में विश्वासमत हासिल करना होगा. सोमवार को वो ऐसा करने में असफल रहे थे. संविधान की धारा 76(5) के अंतर्गत सरकार बनाने की कोशिश की जा रही है. यदि इस बार ओली विश्वासमत हासिल करने में असफल रहे थो देश नए सिरे से चुनाव कराने की दिशा में आगे बढ़ जाएगा.
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को सीपीएन माओवाद के अध्यक्ष पुष्पकमल दल 'प्रचंड' का समर्थन मिल गया था, लेकिन वह जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) का समर्थन हासिल करने में नाकाम रहे. जेएसपी के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने देउबा को समर्थन का आश्वासन दिया था लेकिन पार्टी के एक और अध्यक्ष महंत ठाकुर ने इस विचार को खारिज कर दिया.
ऐसा है सदन का समीकरण
निचले सदन में नेपाली कांग्रेस के पास 61 और माओवाद (मध्य) के पास 49 सीटें हैं. इस प्रकार उनके पास 110 सीटें हैं, लेकिन बहुमत के आंकड़े से कम हैं. फिलहाल सरकार गठन के लिये 136 मतों की जरूरत है. सदन में जेएसपी की 32 सीटें हैं. यदि जेएसपी समर्थन दे देती तो देउबा को प्रधानमंत्री पद के लिये दावा पेश करने का अवसर मिल जाता. यूएमएल के पास 275 सदस्यीय सदन में 121 सीटें है. माधव नेपाल के धड़े वाले 28 सांसदों ने कार्यावाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और माधव के बीच बृहस्पितवार को समझौता होने के बाद अपनी सदस्यता से इस्तीफा नहीं देने का निर्णय लिया.
ओली ने माधव समेत यूएमएल के चार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का फैसला वापस लेते हुए उन्हें उनकी मांगें माने जाने का आश्वासन दिया. यदि यूएमएल के सांसद इस्तीफा दे देते तो प्रतिनिधि सभा में सदस्यों की संख्या घटकर 243 रह जाती, जो फिलहाल 271 है. ऐसे में सरकार गठन के लिये केवल 122 मतों की दरकार होती. इससे पहले, नयी सरकार के गठन को लेकर राजनीतिक दलों के बीच दिन भर ऊहापोह की स्थिति रही.
सीपीएन-यूएमएल के माधव कुमार नेपाल-झालानाथ खनल धड़े से संबंध रखने वाले सांसद भीम बहादुर रावल ने गतिरोध खत्म करने के लिये मंगलवार को दोनों नेताओं के करीबी सांसदों से नयी सरकार का गठन करने के लिये संसद सदस्यता से इस्तीफा देने का आग्रह किया. रावल ने बुधवार को ट्वीट किया कि ओली नीत सरकार को गिराने के लिये उन्हें संसद सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिये.
उन्होंने लिखा, 'असाधारण समस्याओं के समाधान के लिये असाधारण कदम उठाए जाने की जरूरत होती है. प्रधानमंत्री ओली को राष्ट्रीय हितों के खिलाफ अतिरिक्त कदम उठाने से रोकने के लिये उनकी सरकार गिराना जरूरी है. इसके लिये हमें संसद की सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिये. राजनीतिक नैतिकता और कानूनी सिद्धांतों के लिहाज से ऐसा करना उचित है.'
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