क्या परमाणु हमले की ओर बढ़ चला रूस-यूक्रेन का युद्ध? पुतिन ने दिए ये संकेत

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने परमाणु बल के अभ्यास का निरीक्षण किया है. जिसके बाद ऐसा दावा किया जा रहा है कि रूस-यूक्रेन का युद्ध परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 26, 2022, 07:55 PM IST
  • रूस में परमाणु बल का हुआ अभ्यास
  • पुतिन ने अभ्यास का किया निरीक्षण
क्या परमाणु हमले की ओर बढ़ चला रूस-यूक्रेन का युद्ध? पुतिन ने दिए ये संकेत

नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने देश के सामरिक परमाणु बल के अभ्यास का बुधवार को निरीक्षण किया जिसमें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के प्रक्षेपण आदि शामिल थे. क्रेमलिन ने इस आशय की जानकारी दी. यूक्रेन के साथ युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों के साथ बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि में रूस के इस अभ्यास को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है.

'बड़े पैमाने पर परमाणु हमला' करने का अभ्यास
रूस के रक्षा मंत्री सेर्गेई शोईगु ने पुतिन को बताया कि रूस पर परमाणु हमला होने की स्थिति में उसके (रूस) द्वारा 'बड़े पैमाने पर परमाणु हमला' करने का अभ्यास किया गया. गौरतलब है कि इस अभ्यास से पहले पुतिन ने रूसी सीमा पर हमलों के जवाब में 'हर संभव कदम उठाने' के लिए तैयार होने की बात कही थी.

इस बयान में पुतिन परोक्ष रूप से देश के परमाणु हथियारों के उपयोग की बात कर रहे थे. बुधवार को हुए इस अभ्यास में उत्तरी प्लेसेत्स्क प्रक्षेपण स्थल से जमीन से मार करने वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ‘यार्स’ का सफल परीक्षण हुआ.

क्रेमलिन ने बयान में साझा की सारी जानकारी
अभियान के तहत, टीयू-95 बमवर्षकों ने अभ्यास वाले निशाने पर क्रूज मिसाइलों को दागा गया. क्रेमलिन ने एक बयान में कहा कि अभ्यास के लिए तय सभी लक्ष्य प्राप्त कर लिए गए और दागी गई सभी मिसाइल निशाने पर लगी.

जमीन, समुद्र और हवा में युद्ध करने की क्षमता रखने वाले रूसी परमाणु बल द्वारा यह अभ्यास हर साल किया जाता है. इसका लक्ष्य देश के परमाणु बल का प्रशिक्षण और युद्ध के लिए उनकी तैयारी का प्रदर्शन करना है. वहीं, अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने मंगलवार को कहा था कि रूस अपनी परमाणु क्षमता का अभ्यास करने के संबंध में उसे पहले ही नोटिस दे चुका है.

रूस ने ‘डर्टी बम’ के दावे को दोहराया
पेंटागन और अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि भविष्य में होने वाले परीक्षणों के संबंध में अमेरिका को सूचित करने संबंधी अमेरिका-रूस हथियार नियंत्रण समझौते के प्रावधानों का रूस ने पालन किया है. रूस का यह परमाणु अभ्यास यूक्रेन द्वारा रेडियोएक्टिव उपकरण ‘डर्टी बम’ विस्फोट करने के कथित प्रयासों को लेकर मास्को की चेतावनी के बीच हुआ है.

खबरों के मुताबिक, यूक्रेन ‘डर्टी बम’ विस्फोट करके इसका दोष रूस पर मढ़ना चाहता था. यहां तक कि बुधवार को पुतिन ने खुद भी ‘डर्टी बम’ के दावे को दोहराया. वहीं, रक्षा मंत्री शोईगु ने बुधवार को चीन और भारत के रक्षा मंत्रियों को फोन करके उनसे इस पर चर्चा की.

हालांकि, यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने इस आरोप को खारिज किया है. यूक्रेन की सरकार का कहना है कि उसे संदेह है कि रूस अपने ही फर्जी ‘फ्लैग ऑपरेशन’ की योजना बना रहा है.

रूस ने यूक्रेन पर रॉकेट दागे
रूस ने गत एक दिन में यूक्रेन के 40 से अधिक गांवों को निशाना बनाया है. यूक्रेन के अधिकारियों ने बुधवार को यह दावा करते हुए कहा कि इन हमलों में दो लोगों की मौत हो गई और हवाई हमले के भय से लोग रात बंकरों में बिता रहे हैं.

यूक्रेन के सशस्त्र बल जनरल स्टाफ ने बताया कि रूसी बलों ने यूक्रेनी ठिकानों पर पांच रॉकेट हमले, 30 हवाई हमले और बहु प्रक्षेपण रॉकेट प्रणाली से 100 से अधिक हमले किए. ये हमले ऐसे समय हुए हैं जब यह आशंका प्रबल होती जा रही है कि मात मिलने की वजह से रूस उस उपकरण का इस्तेमाल कर सकता है जिससे रेडियोधर्मी कचरा फैलता है ताकि दहशत का महौल बना सके.

'परमाणु विकल्प नहीं अपनाना चाहिए'
इस बीच भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु से कहा कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान संवाद और कूटनीति के माध्यम से निकाला जाना चाहिए और किसी भी पक्ष को परमाणु विकल्प पर विचार नहीं करना चाहिए. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि शोइगु ने फोन पर हुई बातचीत में सिंह को यूक्रेन के मौजूदा हालात से अवगत कराया जिसमें ‘डर्टी बम’ का इस्तेमाल करके उकसावे वाली कार्रवाई को लेकर चिंताएं शामिल हैं.

रूस और यूक्रेन में बढ़ती शत्रुता के बीच रूस के रक्षा मंत्री की पहल पर बातचीत की गयी. मंत्रालय ने कहा, 'सिंह ने संघर्ष के जल्दी समाधान के लिए संवाद और कूटनीति के मार्ग को अपनाने की जरूरत पर भारत का रुख दोहराया.'

मंत्रालय ने कहा, 'उन्होंने संकेत दिया कि किसी भी पक्ष को परमाणु विकल्प को नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि परमाणु या रेडियोलॉजिकल हथियारों के इस्तेमाल की संभावना मानवता के मूलभूत सिद्धांत के खिलाफ है.'

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