नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच के रिश्तों की भले खटास हो लेकिन आस्था के दरवाजों को खोलने की सहमति देना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिहाज से एक समझदारी भरा कदम है. 


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कमाई का जरिया है करतारपुर कॉरिडोर
सिखों का मदीना माने जाने वाले करतारपुर कॉरिडोर को पिछले दिनों जीरो प्वाइंट पर मंजूरी के बाद खोल दिया गया. करतारपुर कॉरिडोर को खोलने से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को हर साल तकरीबन 3,65,00,000 डॉलर ( 2 अरब 58 करोड़ 91 लाख 89 हजार रूपए) की आमदनी होने वाली है. यह पाकिस्तान के बजट का एक बड़ा हिस्सा है. 


पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा
भारी आर्थिक कर्ज में डूबे पाकिस्तान को इस आस्था के तीर्थयात्रा से इतनी मोटी कमाई होने वाली है कि  उसके बजट के कई क्षेत्रों में निवेश का खर्च तक निकल जाएगा. दरअसल, 23 अक्टूबर को भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को हरी-झंडी दिखा दी गई. भारत सरकार की ओर से तो इस यात्रा को फ्री पैसेज दे दिया गया था लेकिन पाकिस्तान सरकार तीर्थयात्रियों से 20 डॉलर की फीस लेने पर अड़ी है.  करतारपुर कॉरिडोर से प्रतिदिन 5000 तीर्थयात्रियों को आने-जाने की सहमति बनी है. हालांकि, त्योहार के अवसर पर इस  संख्या में इजाफा हो सकता है. 


कुछ इस तरह पाकिस्तान बना रहा है कमाई का प्लान 
पाकिस्तान प्रति तीर्थयात्री  20 डॉलर तकरीबन 1418 रूपए लेगा जिसका मतलब है कि एक दिन में 5000 यात्रियों के हिसाब से पाकिस्तान को 1 लाख डॉलर मिलेंगे. भारतीय रूपए के हिसाब से पाक एक दिन में तकरीबन 71 लाख रूपए कमा पाएगा. पाकिस्तान रूपए के हिसाब से 1 डॉलर की अहमियत 156 रूपए (155.74) के करीब होती है. उस हिसाब से देखा जाए तो पाकिस्तान को हर दिन 1.55 करोड़ रूपए की गाढ़ी कमाई हो सकती है. ठीक उसी पैमाने से 365 दिन यानी 1साल में पाकिस्तान 3,65,00,000 डॉलर की कमाई कर सकता है जो भारतीय रूपए के हिसाब से तकरीबन 259 करोड़ रूपए होते हैं तो वहीं पाकिस्तानी रूपए के हिसाब से 555 करोड़ हो जाता है.


पिछले ही दिनों पाकिस्तान ने भारत के साथ श्रद्धालुओं को फ्री वीजा प्रदान कर गुरूद्वारा दरबार साहिब जाने के मसौदे पर सहमति जाहिर की थी. भारत के आस्था की इस तीर्थयात्रा से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ी मदद मिलने जा रही है.