नई दिल्ली: भारत शांतिप्रियता के लिए जाना जाता है और उतना ही अपनी सहिष्णुता और सहयोग के लिए भी विश्व में प्रतिष्ठित है. अब प्रश्न यह पैदा होता है कि बिना किसी प्रयोजन के भारत से शत्रुता मोल लेने वाले साँपों के प्रति दया भाव दर्शाते हुए यदि भारत उनकी मुसीबत में मदद करे तो यह किस नीति या रणनीति के अंतर्गत होगा?  कम से कम चाणक्य नीति के अंतर्गत तो नहीं आता और वैसे भी सहज नीति कहती है कि शठे शाठ्यम समाचरेत.


तुर्की और मलेशिया ने मांगी मदद


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

तुर्की और मलेशिया ये वही दोनों बेशर्म राष्ट्र हैं जिनको भारत अपना मित्र मानता रहा है और यथा सम्भव उनकी व्यापारिक मदद भी करता रहा है. किन्तु वैश्विक इस्लामी कट्टरपंथ के झंडाबरदार पाकिस्तान के साथ हाथ मिला कर इन दोनों देशों ने भारत से बिना किसी प्रयोजन के शत्रुता मोल ले ली थी और भारत के कश्मीर विषय पर भारत विरोधी बयान लगातार दिए थे. अब इन दोनों ही देशों को कोरोना-काल में भारत की मदद की ज़रूरत आन पड़ी है.


चाहिए भारत से कोरोना की दवा


कश्मीर पर पकिस्तान के साथ शृगाल मैत्री निभाने वाले तुर्की और मलेशिया ने भी शर्म के परदे गिरा कर मदद का कटोरा उठा कर भारत के सामने हाथ फैला दिए हैं. इन दोनों देशों को लगता है कि भारत की स्मरण शक्ति दुर्बल है और वह भूल जाएगा कि उसने जब कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया तो मलेशिया और तुर्की नामक इन दोनों देशों ने खुल कर भारत विरोध में पाकिस्तान का साथ दिया था.


अब जब कोरोना ने इनका बैंड बजाया है तो इन्हें भारत की याद आई है.


भारत के पास है एक संजीवनी ड्रग


एक संजीवनी बूटी ने श्री लक्ष्मण जी के प्राण बचाये थे और अब दूसरी संजीवनी दुनिया को नवजीवन प्रदान कर रही है. एलोपैथी की इस संजीवनी का नाम है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन जो कि दुनिया भर में कोरोना के विरुद्ध कारगर नज़र आ रही है.


इसे भी पढ़ें: भारत के कोरोना कण्ट्रोल मॉडल को अपनाया है जर्मनी 


आज जब सारी दुनिया कोरोना संक्रमण की गिरफ्त में है, दुनिया के पचास से ज्यादा देश भारत से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि भारत उन्हें यह दवा प्रदान करके कोरोना संकट से मुक्ति दिलाएगा. अब यही दवा मांग रहे हैं दोनों बेमुरव्वत देश - तुर्की और मलेशिया.


इसे भी पढ़ें: लॉकडाउन तोड़ने वालों को गोलियों से भून डाला


इसे भी पढ़ें: 'कोरोना काल' में क्या जंग के लिए फड़फड़ा रहा है PAK? भिड़ोगे तो हो जाओगे 'खाक'