नई दिल्लीः दुनिय़ाभर में हुए एक सर्वे में सामने आया है कि भारत में लोगों को भरोसा अब भी सरकार और मीडिया पर बना हुआ है. यह सर्वे उन आशंकाओं और अस्थिरता पर करारी चोट करता है जो पिछले दिनों नागरिकता कानून के विरोध को लेकर बनी हैं. इसका सीधा मतलब है कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी है, जिसके कारण लोग सरकार पर भरोसा कर रहे हैं और नीतियों का विरोध कर रहे हैं.


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सर्वे में कहा गया है कि दुनिया भर में कई संस्थानों को लेकर लोगों का भरोसा टूट रहा है. खासकर सरकारों और मीडिया पर लोगों का भरोसा कम हुआ है. हालांकि भारत के साथ-साथ चीन में लोगों की सकारात्मक राय देखने को मिली है. मंगलवार को जारी एडेलमेन ट्रस्ट बैरोमीटर में यह कहा गया है कि चीन और भारत दो ऐसे देश है जहां सरकार और दूसरे संस्थानों के प्रति विश्वास का स्तर अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा है. 


चीन को मिला अव्वल दर्जा
चीन उसकी आबादी के बड़े हिस्से के बीच भरोसे के मामले में सूची में अव्वल है, जबकि इस मामले में भारत दूसरे स्थान पर है. वहीं रूस दोनों मामलों में निचले पायदान पर रहा है. इस सर्वे में कहा गया है कि मजबूत वैश्विक अर्थव्यवस्था और लगभग पूर्ण रोजगार की स्थिति के बावजूद हर विकसित बाजार में बहुसंख्यक प्रतिभागियों को इस बारे में भरोसा नहीं है कि उनकी स्थिति पांच साल में बेतहर होगी और 56 प्रतिशत का मानना है कि मौजूदा रूप में पूंजीवाद भलाई करने के मुकाबले नुकसान ज्यादा कर रहा है.


भरोसे में आई है कमी
एडेलमैन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रिचर्ड एडेलमैन ने कहा कि यह दौर भरोसे में कमी का है. उन्होंने कहा कि हमने 20 साल पहले भरोसे का आकलन शुरू किया था. आर्थिक वृद्धि ने विश्वास को बढ़ाया है. यह एशिया और पश्चिम एशिया में बना हुआ है, लेकिन विकसित बाजारों में ऐसा नहीं है. विकसित देशों में राष्ट्रीय आय में असमानता है. लोगों में आशंकाएं अधिक बैठ गई हैं, लिहाजा वह उम्मीद करने से कतराते हैं.


लंबे समय से जो यह धारणा रही है कि कठिन मेहनत से हम ऊपर जाएंगे, वह अब महत्वहीन हो रहा है. भारत अभी विकासशील देश है, ऐसे में यहां अभी भी उम्मीद बाकी है. 


मान-सम्मान को लेकर चिंता
सर्वे के अनुसार, यह चिंता व्यापक स्तर पर है. वैश्विक स्तर पर ज्यादातर कर्मचारी (83 प्रतिशत) स्वचालन, लंबे समय से चली आ रही नरमी, प्रशिक्षण का अभाव, सस्ती विदेशी प्रतिस्पर्धा, आव्रजन और अस्थायी रोजगार वाली अर्थव्यवस्था के कारण नौकरी जाने की आशंका को लेकर चिंतित हैं. इसमें कहा गया है कि सर्वे में शामिल लोगों में से 57 प्रतिशत प्रतिभागी मान-सम्मान जाने को लेकर चिंतित हैं.


उन्हें भय है कि उन्हें जो सम्मान मिल रहा है, उसमें कमी आ सकती है. करीब दो तिहाई लोगों का मानना है कि प्रौद्योगिकी में बदलाव काफी तेज है. 76 प्रतिशत ने कहा कि फर्जी खबर को हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है और वे इसको लेकर चिंतित हैं.


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कई देशों की सरकार को माना गया अयोग्य
सर्वे के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि सीईओ आगे बढ़कर अगुवाई करेंगे. 92 प्रतिशत कर्मचारियों ने कहा कि सीईओ को फिर से प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी नीति परक उपयोग और आय असमानता समेत वर्तमान मसलों पर बोलना चाहिए. सर्वे में सरकारों को अयोग्य और बेईमान माना गया है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण और आय असमानता दूर करने के मामले में कंपनियों के मुकाबले ज्यादा भरोसेमंद माना गया है.


इसमें मीडिया को भी अयोग्य और बेईमान माना गया है. सर्वे में शामिल लोगों में से 57 प्रतिशत का मानना है कि मीडिया अपना काम सही तरीके से नहीं कर रहा. हालांकि, सर्वे में माना गया है कि कंपनियां और सरकारें उच्च भरोसा हासिल करने के लिये कदम उठा सकती हैं. प्रतिभागियों को उम्मीद है कि कंपनियां सही वेतन और प्रशिक्षण देने पर ध्यान देगी.


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