नई दिल्लीः Israel Iran War: मध्य पूर्व में तनाव बढ़ता ही जा रहा है. हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमले किए. हालांकि इसमें इजरायल को प्रभावी नुकसान नहीं हुआ लेकिन इलाके में संघर्ष नए स्तर पर पहुंच गया है. इजरायली सेना लेबनान में घुस गई है और ग्राउंड ऑपरेशन चला रही है. वहीं इजरायल ने ईरान के हमले का जवाब देने की भी बात कही है. ऐसे में अगर दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ जंग छेड़ी तो कौन किसका साथ दे सकता है, जानिएः


बंटे हुए नजर आ रहे अरब देश


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अरब देश इस संघर्ष पर बंटे हुए नजर आते हैं. इसका ताजा उदाहरण यह है कि सऊदी अरब ने हसन नसरल्लाह की मौत के बाद जारी किए बयान में नसरल्लाह का जिक्र नहीं किया था. हालांकि सऊदी ने लेबनान की सुरक्षा और संप्रभुता की बात कही थी. समझा यह भी जाता है कि सऊदी नेतृत्व पूरी तरह से फिलिस्तीन को नजरअंदाज नहीं कर सकता है. वहीं संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर और बहरीन इस पूरे मुद्दे पर चुप हैं लेकिन गल्फ कोऑपरशेन काउंसिल (GCC) ने लेबनान की संप्रभुता और स्थिरता का समर्थन किया है. GCC में बहरीन, ओमान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत शामिल हैं.


इसी तरह मिस्र ने लेबनान के प्रति समर्थन दिखाया है लेकिन राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सीसी ने नसरल्लाह का नाम नहीं लिया. जॉर्डन फिलिस्तिनीयों का समर्थक है. वहीं तुर्की की बात करें तो वह फिलिस्तीन के मुद्दे पर इजरायल को घेरते रहता है. 


पश्चिमी ताकतें इजरायल के साथ


इजरायल के समर्थकों की बात करें तो अमेरिका के नेतृत्व में ज्यादातर पश्चिमी देश इजरायल के समर्थक हैं. अमेरिका खुलकर इजरायल का समर्थन करता है और उसे हथियारों से जुड़ी सैन्य मदद भी प्रदान करता है. वहीं ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया भी ईरान के खिलाफ इजरायल का समर्थन करते दिखे हैं. 


ईरान के समर्थक कौन से देश


समझा जाता है कि रूस, चीन, तुर्की, लेबनान, यमन और सीरिया को ईरान का समर्थन है. हालांकि जिस तरह अमेरिका खुलकर इजरायल का समर्थन करता है उस तरह से ईरान को रूस, चीन जैसी ताकतों से समर्थन प्राप्त नहीं है लेकिन पश्चिमी प्रभाव वाली दुनिया के विरोध के चलते ये देश तेहरान के समर्थक समझे जाते हैं. रूस और ईरान के संबंधों की बात करें तो पश्चिमी देश दावा करते हैं कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में तेहरान ने मास्को को हथियार प्रदान किए हैं. 


ईरान और इजरायल में से भारत किसके साथ?


भारत का रुख किसी एक देश के तरफ नहीं है बल्कि नई दिल्ली दोनों देशों से मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान करने की अपील कर चुका है. ताजा तनाव पर भारत ने कहा था कि वह पश्चिम एशिया में सुरक्षा हालात बिगड़ने पर काफी चिंतित है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने और लोगों की सुरक्षा की अपील करते हैं.


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