नई दिल्ली. यूक्रेन के साथ युद्ध की वैश्विक आशंकाओं के बीच रूस ने अपने सैनिकों को युद्धाभ्यास के लिए बेलारूस भेजा है. यूक्रेन के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रूस अपने सहयोगी बेलारूस के इलाकों समेत कई तरफ से हमला कर सकता है. हालांकि रूस की तरफ इसे सामान्य युद्धाभ्यास बताते हुए कहा गया है कि ये बाहरी खतरों से निपटने के लिए किया जा रहा है.


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रूस के मना करने के बावजूद माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच स्थितियां बेहद तनावपूर्ण स्थिति में पहुंच चुकी हैं. लेकिन क्या यूक्रेन पर हमला खुद रूस के लिए एक गलत फैसला साबित हो सकता है? दरअसल यूक्रेन पर हमला रूस की डिफेंस इंडस्ट्री के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. सोवियत के समय से ही दुनिया में रूस सबसे बड़े डिफेंस निर्यातकों में रहा है. यही कारण है कि मॉस्को को यूक्रेन के साथ युद्ध की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. 


पहले से मुश्किल में डिफेंस इंडस्ट्री
दरअसल रूस की डिफेंस इंडस्ट्री इस वक्त मॉस्को के पश्चिमी देशों के साथ तनावपूर्ण होते संबंधों को ध्यान से देख रही है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूक्रेन पर हमले के कारण पहले प्रतिबंध झेल रही रूस की डिफेंस इंडस्ट्री को और तगड़ा झटका लग सकता है. रूसी डिफेंस फर्म इस बात पर चिंतित हैं कि यूक्रेन हमले के बाद प्रतिबंध बढ़ाए जा सकते हैं. 

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R&D सेक्टर में निवेश की जरूरत


रूस के डिफेंस सेक्टर में रिसर्च एंड डेवलपमेंट यानी R&D के लिए और निवेश की जरूरत है. अगर यूक्रेन पर हमला हुआ तो इस सेक्टर को निवेश मिलने की संभावनाएं कम हो जाएंगी. साल 2014 में क्रिमिया विवाद की कीमत रूसी डिफेंस सेक्टर अब तक चुका रहा है. ताजा विवाद में यूक्रेन की कई रिसर्च कंपनियों के संबंध रूसी डिफेंस इंडस्ट्री के साथ खराब हो चुके हैं. 


नए वेपन सिस्टम और स्पेस हार्डवेयर महंगा हो सकता है
अब रूसी डिफेंस इंडस्ट्री के लिए नए वेपन सिस्टम और स्पेस हार्डवेयर का प्रोडक्शन महंगा हो सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि पहले से मौजूद प्रतिबंधों के कारण रूस का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी धीमा पड़ा है. इन प्रतिबंधों के कारण राडार सेट, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर मॉड्यूल समेत अन्य जरूरी चीजें पहले से ही मुश्किल से बन पा रही हैं. अगर यूक्रेन के साथ युद्ध हुआ तो मध्य पूर्व के इलाके में डिफेंस इंडस्ट्री को बढ़ाने के रूसी प्लान को भी बड़ा झटका लग सकता है.

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