नई दिल्ली: रूस की सेना यूक्रेन में शहर दर शहर तबाही की कहानी लिख रहा है. कीव, लवील, मरियुपोल या फिर दूसरे शहर.. हर तरफ जिंदगी बेबस है. एक तरफ महायुद्ध जारी है तो वहीं दूसरी तरफ महाशक्तियां एक दूसरे से दो-दो हाथ करने में जुटी हैं. वहीं क्रेमलिन का मानना है कि पुतिन और जेलेंस्की के बीच एक बैठक की चर्चा करना जल्दबाजी होगी.


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पुतिन-जेलेंस्की की बातचीत नहीं उचित!


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके यूक्रेनी समकक्ष व्लोदिमिर जेलेंस्की के बीच एक बैठक के बारे में चर्चा करना जल्दबाजी होगी, क्योंकि मॉस्को-कीव में चल रहे युद्ध में शांति वार्ता में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. ये जानकारी क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने दी.


समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने पेसकोव के हवाले से एक ब्रीफिंग में कहा, 'दोनों राष्ट्रपतियों के बीच संभावित बैठक पर चर्चा करने में सक्षम होने के लिए, आपको सबसे पहले अपना होमवर्क करना होगा.' उन्होंने कहा कि 'अभी तक (वार्ता प्रक्रिया में) कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है. राष्ट्रपतियों ने अभी तक कोई समझौता पास नहीं किया है.'


यूक्रेन और रूस के प्रतिनिधिमंडलों ने 28 फरवरी से युद्ध के संभावित अंत की तलाश के लिए बेलारूस में व्यक्तिगत रूप से बातचीत के 3 दौर आयोजित किए हैं. दोनों पक्षों ने 14 मार्च को वीडियो लिंक के जरिए चौथे दौर की बातचीत शुरू की. पिछले हफ्ते यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मायखाइलो पोडोल्याक ने कहा कि जेलेंस्की आने वाले दिनों में पुतिन के साथ बातचीत कर सकते हैं.


अमेरिका रूस के रिश्तों में बढ़ रही दरार


इतिहास के पन्नों को पलटें तो यूक्रेन के युद्ध में कुछ उसी तरह के हालात बन रहे हैं, जो पहले विश्वयुद्ध और बाद में दूसरे विश्वयुद्ध की वजह बना थे. अगर इसका सीधा मतलब समझें तो वो ये है कि अब तक सिर्फ रूस और यूक्रेन के बीच दिख रहा ये महायुद्ध किसी भी वक्त विश्वयुद्ध की शक्ल ले सकता है.


बड़ा सवाल यही है कि आखिर रूस यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का अंजाम क्या होगा. इस बीच अमेरिका और रूस के बीच रिश्तों में कड़वाहट बढ़ती जा रही है. पुतिन को वॉर क्रिमिनल बताने वाले बाइडेन के बयान पर रूस ने विरोध जताते हुए अमेरिकी राजदूत को तलब किया.


रूस के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी किये गये बयान में कहा गया है कि- 'अमेरिकी राष्ट्रपति के इस तरह के बयान ने रूसी-अमेरिकी संबंधों को टूटने के कगार पर खड़ा कर दिया है. राजदूत जॉन सुलिवन को बाइडेन के दिए गए 'अस्वीकार्य बयान' पर विरोध का एक औपचारिक पत्र सौंपा गया है. उन्हें चेतावनी दी गई कि रूस के खिलाफ की गई शत्रुतापूर्ण कार्रवाई को उचित जवाब मिलेगा.'


रूस के साथ चल रही तनातनी के बीच बाइडेन 25 मार्च को पोलैंड की यात्रा करने वाले हैं, जहां वो यूक्रेन की मदद को लेकर बातचीत करेंगे. लेकिन दो महाशक्तियों की टक्कर में दुनिया दो गुटों में बंटी नजर आ रही है. एक तरफ यूक्रेन के साथ अमेरिका, NATO देश और पश्चिमी देश खुलकर साथ हैं.


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वहीं दूसरी तरफ एटमी ताकत वाले रूस को चीन का खुला समर्थन मिल रहा हैं. विश्वयुद्ध का खतरा इसलिये है क्योंकि पुतिन अब खाली हाथ लौटने को तैयार नहीं हैं तो वही अमेरिका किसी भी कीमत पर यूक्रेन को बचाना चाहता है. आने वाले दिनों में यही विश्वयुद्ध की वजह बन सकती है.


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