Sri Lanka: बगावत की आग हुई और तेज, रातभर लगा रहा कर्फ्यू
श्रीलंका में बगावत की आग और तेज हुई. प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जा किया. रातभर कर्फ्यू लगा रहा. सूत्रों के मुताबिक फरार राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे आज सिंगापुर पहुंच सकते हैं. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने भले ही देश छोड़ दिया हो, लेकिन जनता है कि अपने विरोध की जिद छोड़ने को तैयार ही नहीं है.
नई दिल्ली: राष्ट्रपति के देश छोड़ने की खबर बाहर क्या आई. जनता के जिद की आग और भड़क गई. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पीएम के घर और दफ्तर के बाद संसद पर धावा बोल दिया. प्रदर्शनकारियों ने संसद की 2 बैरिकेड तोड़ दिए थे जिसके बाद सेना को टीयर गैस के गोले दागने पड़े. ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि भीड़ पीएम कार्यालय पर कब्जा करने के बाद संसद पर कब्जा करने की योजना बना रही है.
आज सुबह 5 बजे तक लगा रहा कर्फ्यू
इस बीच रानिल विक्रमासिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बना दिया गया है और भीड़ के गुस्से को देखते हुए. कार्यवाहक राष्ट्रपति ने आज सुबह 5 बजे तक के लिए कर्फ्यू का ऐलान कर दिया था. इस बीच कार्यवाहक राष्ट्रपति ने बुधवार को एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी. जिसमें सभी पार्टियों ने ये मांग कर दी कि गोटाबाया से पहले रनिल विक्रमसिंघे ही इस्तीफा दें.
श्रीलंका में विरोध की आग इतनी ज्यादा धधक चुकी है कि खुद श्रीलंका की सेना उसे काबू नहीं कर पा रही है. अब तक जिस जनता ने सिर्फ राष्ट्रपति आवास पर अपना कब्जा जमाया था. उसने बुधवार को प्रधानमंत्री के कार्यालय पर भी कब्जा कर लिया.
प्रधानमंत्री के दफ्तर पर कब्जा करने के लिए पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने जब दफ्तर पर कब्जे के लिए अंदर घुसना शुरू किया तो सेना ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया. जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने अफरातफरी मच गई. मगर लोग तो जैसे प्रधानमंत्री कार्यालय को अपने कब्ज़े में लेने के इरादे से ही आए थे. प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के कार्यालय पर कब्जा किया और श्रीलंका का झंडा फहरा दिया.
देश के सरकारी टीवी चैनल पर कब्जा
श्रीलंका में भारी विरोध प्रदर्शन के बीच देश के सरकारी टीवी चैनल पर भी प्रदर्शनकारी जमे नजर आए. राष्ट्रीय चैनल श्रीलंका रूपावाहिनी कॉरपोरेशन से जो फुटेज आई उसमें नजर आया किस तरह प्रदर्शनकारी ऑन एयर प्रोग्राम के बीच में अपनी बात रख रहे हैं. चैनल को आफ एयर कर उनका ब्राडकास्ट रोकना पड़ा.
यह कोई संघर्ष नहीं है जो नफरत फैलाता है. यह शांतिपूर्ण संघर्ष है. पूरी दुनिया को इसे शांतिपूर्ण विरोध के रूप में देखना चाहिए क्योंकि वे बच्चों के भविष्य के लिए लड़ रहे हैं, बच्चों के पास खाने को कुछ नहीं है. देश में ईंधन नहीं है. जब अमीर विलासिता में रहते हैं, तो क्या गरीबों को चावल और नारियल का सांबल खाना चाहिए और बस इंतजार करना चाहिए.
लेकिन भीड़ के इस प्रदर्शन ने श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. प्रधानमंत्री के कार्यालय पर कब्जा होने के बाद अब संसद पर भीड़ के कब्जे की अटकलें तेज हो गई हैं. ऐसे में बुधवार को कार्यवाहक राष्ट्रपति ने सभी दलों की बैठक बुलाई, लेकिन बैठक में कार्यवाहक राष्ट्रपति के खिलाफ ही आवाजें उठने लगीं.
रानिल विक्रमसिंघे से इस्तीफे की मांग
पार्टियों ने मांग की कि गोटाबाया से पहले रनिल विक्रमासिंघे इस्तीफा दें. बुधवार को ही कार्यवाहक राष्ट्रपति और पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने को एक ऐसा प्रधानमंत्री चुनने की सूचना दी है जो सरकार और विपक्ष दोनों को ही मंजूर हो.
उधर प्रदर्शकारियों के प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जा होने के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति ने कहा कि यह सत्ता हथियाने का प्रयास था.
उन्होंने कहा कि 'हम राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए कदम उठा रहे हैं, बावजूद इसके कुछ समूहों ने प्रधानमंत्री कार्यालय पर धावा बोलने की योजना बनाई, वायु सेना कमांडर के घर को घेर लिया, क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति को मालदीव जाने के लिए हवाई जहाज दिया था. सेना कमांडर और नौसेना कमांडर के घर को भी घेरा गया. ये सत्ता हथियाने का प्रयास था.'
सड़क से श्रीलंका की जनता ने पहले राष्ट्रपति भवन और फिर प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जा कर लिया और अब वो संसद तक जाने की योजना बना रहे हैं. ऐसे में श्रीलंका के हालात का आप सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं. अब आने वाला समय श्रीलंका के लिए कैसा होगा. फिलहाल कहना मुश्किल है.
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