इसलिए फैला कोरोना क्योंकि कोबरा, चमगादड़, बाघ के अंडकोष में स्वाद खोजता है चीन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक कोरोना वायरस चमगादड़ों से आया हो सकता है. यह कैसे आया होगा, यह शोध का विषय है. लेकिन इसकी एक वजह चीनियों की इस आदत को मानना चाहिए, जिसमें वह जानवरों में स्वाद खोजते हैं. इसे येवै कहा जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सभी को पता है कि खतरनाक 70 फीसदी वायरस जानवरों से आए हैं, उसके बावजूद चीन में इस तरह के स्वाद पर कोई रोक नहीं लगी है.
नई दिल्लीः चीन से निकला कोरोना वायरस पूरी दुनिया में तहलका मचा रहा है. लोग बीमार पड़ रहे हैं. मर रहे हैं, लगातार संक्रमित हो रहे हैं. खुद चीन की भी अर्थव्यवस्था दांव पर लगी है. देश के कई प्रांतों और शहरों में तालाबंदी का आलम है. कुल मिलाकर हाहाकार वाली स्थिति है. सिर्फ कोरोना ही क्यों, चीन से निकले हर तरह के वायरस ने ऐसा ही हंगामा मचाया है. फिर चाहे वह सॉर्स हो, मर्स हो या फिर बर्ड फ्लू ही क्यों न हो. नतीजा वही... संक्रमण, लाइलाज अवस्था और फिर मौतों का सिलसिला.
एक सवाल, यह स्थिति बार-बार आती क्यों है?
इतने खतरनाक, जानलेवा वायरस चीन में बार-बार ईजाद कैसे होते हैं? यह एक बड़ा सवाल है. इसका जवाब पुख्ता तौर मौजूद नहीं है, लेकिन इसका जवाब कई तरह की शोध के बाद आई रिपोर्ट में है. कोरोना को ही लें तो वैज्ञानिकों का मानना है कि ये वायरस चीनी शहर वुहान के समुद्री जीवों को बेचने वाले बाजार से निकला है.
ये बाजार जंगली जीवों जैसे सांप, रैकून और साही के अवैध व्यापार के लिए चर्चित था. इन जानवरों को पिंजड़े में रखा जाता था और इनका इस्तेमाल खाद्य पदार्थों और दवाइयों के रूप में किया जाता था.
ध्यान देने वाली बात, खतरनाक जीव यानी खाद्य पदार्थ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक कोरोना वायरस चमगादड़ों से आया हो सकता है. यह कैसे आया होगा, यह शोध का विषय है, लेकिन फिलहाल एक बड़ा जिम्मेदार चीनी खानपान के तौर-तरीकों को मानना चाहिए. दरअसल चीन खानपान में बेहद अलग स्वाद खोजता है. यह अलग स्वाद उन्हें वीभत्स तौर-तरीकों की ओर ले जाता है. चीन में कुछ जानवरों को उनके स्वाद की वजह से खाया जाता है.
यह वहां सामान्य तौर पर लोगों की आदत में शुमार है. चीन के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे रेस्त्रां हैं जहां पर बैट सूप यानी चमगादड़ का सूप परोसा जाता है. इन सूप के कटोरों में आपको एक साबुत चमगादड़ मिलता है. आप मांसाहार को कितना भी पसंद कर लें, लेकिन जिंदा चमगादड़ का सूप... कल्पना से भी परे
यह लिस्ट यहीं नहीं रुकती, काफी लंबी है
कई जानवरों को दवाईयों के लिए खाया जाता है, तो कई जानवर स्वाद के लिए ही थाली का हिस्सा बनते हैं. कई सूपों में बाघ के अंडकोष और पाम सिवेट के शरीर के अंग शामिल होते हैं. भुना हुआ कोबरा सांप, भालू के भुने हुए पंजे, बाघ की हड्डियों से बनी शराब जैसी डिश महंगे रेस्त्राओं में पाई जा सकती है. जानवरों को बेचने वाले कुछ बाज़ारों में चूहे, बिल्लियां, सांप समेत कुछ दुर्लभ चिड़ियों की प्रजातियां भी बेची जाती हैं.
चीन के खूबे प्रांत पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से इस बाजार पर भी प्रतिबंध लग गया है. चीन दुनिया में जंगली जानवरों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है जहां ये व्यापार वैध और अवैध ढंग से चलाया जाता है.
जंगली स्वाद (येवै) का शौकीन है चीन
चीन में जानवरों के व्यापार पर जांच करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था से जुड़े एक इंवेस्टिगेटर बताते हैं, चीन में 'येवै' का विचार (चीनी भाषा में इस शब्द का अनुवाद जंगली टेस्ट होता है) घर-घर में बोला जाने वाला टर्म है. यह आपके सांस्कृतिक रूप से एडवेंचर, साहस, खोजी प्रकृति और विशेषाधिकार को दर्शाता है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक सभी को पता है कि खतरनाक 70 फीसदी वायरस जानवरों से आए हैं, उसके बावजूद चीन में इस तरह के स्वाद पर कोई रोक नहीं लगी है. अब भी जो रोक लगी है, वह स्थाई नहीं है.
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क्या इस पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लग सकेगा
कोरोना वायरस ने एक बार फिर चीन में जंगली जानवरों के धड़ल्ले से चल रहे व्यापार को सबके सामने ला दिया है. वन्यजीव संरक्षण संस्थाए इसकी लगातार आलोचना करती हैं. क्योंकि इस व्यापार के चलते जानवरों की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं. कोरोना वायरस फैलने के बाद चीनी सरकार ने वन्य जीवों के व्यापार पर फौरी तौर पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि इस वायरस को फैलने से रोका जा सके.
लेकिन वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्थाएं इस कोशिश में है कि इस मौके का इस्तेमाल इस व्यापार को पूरी तरह से रोकने में किया जाए. लेकिन ऐसा हो सकेगा, कहना मुश्किल है.
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