नई दिल्ली: अब दुनिया में भारत के मेधावी मस्तिष्क के एक और गुण की सराहना हो रही है. भारतीय सनातन तौर पर शांति के समर्थक रहे हैं और उनके मस्तिष्क में शान्ति का स्थायी भाव उनके लिए एक कवच की भांति अस्तित्वमान है. जब यह बात चीन के संक्रमण विशेषज्ञ कहते हैं तो दुनिया को भी मानना पड़ता है. चीन के शीर्ष चिकित्सा वैज्ञानिक ने भारतीयों के दिमाग की मजबूती का लोहा मानते हुए कहा है कि कोरोना के विरुद्ध युद्ध में ये भारतीयों का एक सशक्त अस्त्र है.


भारतीयों के दिमाग में रोग-प्रतिरोधक क्षमता है


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अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त चीन के संक्रामक रोग विशेषज्ञ झेंग वेनहोग ने कहा है कि भारत में लोग कोरोनोवायरस बीमारी के लिए शारीरिक रूप से तो इम्यून नहीं माने जा सकते किन्तु भारतीयों में इस रोग के विरुद्ध मानसिक इम्युनिटी की सामर्थ्य उनकी मददगार सिद्ध हो रही है. झांग वेनहोंग ने हाल ही में  चीन के दूतावास द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन वीडियो वार्तालाप के दौरान भारत में अध्ययन कर रहे चीनी छात्रों से कही.


भारतीयों का मस्तिष्क शांतिपूर्ण है


झेंग वेनहोंग ने भारतीय मस्तिष्क की सराहना करते हुए कहा कि भारतीयों के मस्तिष्क  में शान्ति है जो उनकी शक्ति है. उन्होंने कहा कि इस मानसिक शक्ति के दम पर ही भारतीयों का कोरोना वायरस ज्यादा कुछ बिगाड़ नहीं पायेगा. चीन के ये संक्रमण विशेषज्ञ झेंग वेनहोग चीन के लिये कोविड-19 के खिलाफ एक अहम रणनीतिकार की भूमिका में हैं.


‘दिमागी शान्ति है भारतीयों की शक्ति’


फिलहाल शंघाई में हूशान अस्पताल के संक्रामक रोग विभाग में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे चिकित्सा वैज्ञानिक झेंग वेनहोंग ने कहा कि भारतीयों की दिमागी शान्ति उनका आत्मविश्वास है जो उनकी शक्ति के रूप में कोरोना वायरस के विरुद्ध उनका सहायक है. वे शारीरिक रूप से कोरोना के प्रति इम्यून नहीं हैं किन्तु मानसिक रूप से वे कोरोना संक्रमण के विरुद्ध इम्यून हैं.


‘संक्रमण के मामले अमेरिका से बहुत कम हैं’


तैंतीस करोड़ नागरिकों वाले अमेरिका की जनसंख्या भारत की जनसंख्या से पांच गुना कम है. इस तथ्य को ध्यान में रख कर देखें तो संक्रमण के मामले भारत में अमेरिका से पांच गुना अधिक होने चाहिये लेकिन भारत में इसका उल्टा हुआ है. झेंग ने जनसंख्यात्मक तुलना करते हुए कहा कि बड़ी जनसंख्या वाले भारत में कोरोना का संक्रमण बढ़ तो रहा है लेकिन वह अमेरिका के मुकाबले में और दुनिया के दुसरे देशों की तुलना में भी बहुत कम है.


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