कांग्रेसियों की चापलूसी ने सोनिया गांधी की छवि तार-तार कर दी, देखिए मूर्खता के 5 बड़े सबूत

वरिष्ठ पत्रकार और टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी ने एक डिबेट के दौरान कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी को कथित रुप से 'एंटोनिया माइनो' कह दिया. इस पर पूरे देश के कांग्रेसी खफा हो गए. उन्होंने अर्नब के खिलाफ मुहिम चलाते हुए देश के कई राज्यों में अर्नब के खिलाफ 16 FIR दर्ज कर दी.  लेकिन इससे सोनिया गांधी की छवि को निजी तौर पर बड़ा नुकसान हुआ है-  

Written by - Anshuman Anand | Last Updated : Apr 25, 2020, 07:17 AM IST
    • कांग्रेसियों ने पेश किया फिर से मूर्खता का बड़ा उदाहरण
    • अर्नब सोनिया विवाद को दिया तूल
    • सोनिया गांधी की छवि हुई खराब
    • अदालत में उछाल दी सोनिया गांधी की इज्जत
    • सोनिया गांधी के सम्मान को पहुंच रही है ठेस
    • अर्नब के विवाद पर कांग्रेस को साधनी थी चुप्पी
    • कांग्रेसियों ने चापलूसी के चक्कर में सोनिया गांधी को मुश्किल में डाला
    • हर तरफ हो रही है सोनिया के विगत जीवन पर चर्चा
    • इस विवाद ने तूल पकड़ा तो कांग्रेस की सर्वोच्च नेता को होगा निजी तौर पर नुकसान
कांग्रेसियों की चापलूसी ने सोनिया गांधी की छवि तार-तार कर दी, देखिए मूर्खता के 5 बड़े सबूत

नई दिल्ली: विनाश काले विपरीत बुद्धि, कांग्रेस पार्टी पर ये कहावत पूरी तरह खरी उतरती साबित हो रही है. देश में हर जगह डूब रही कांग्रेस पार्टी के जहाज की एकमात्र उम्मीद कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ही हैं. लेकिन कांग्रेसियों ने एक वरिष्ठ पत्रकार से उलझकर कांग्रेस आलाकमान की छवि को ऐसा नुकसान पहुंचा दिया है. जिसकी भरपाई मुश्किल है. 

1. सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेसियों के दावे की हवा निकल गई
सोनिया गांधी के कथित अपमान पर कांग्रेस नेताओं ने आग बबूला होकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, राजस्थान और जम्मू एवं कश्मीर में 
अर्नब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज 16 FIR दर्ज करवा दी. लेकिन इसका नतीजा शून्य रहा. 

शुक्रवार को अर्नब की ओर से दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यों वाली जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने सुनवाई की. सर्वोच्च न्यायालय ने अर्नब गोस्वामी को तत्काल राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर तीन सप्ताह की रोक लगा दी.  

अदालत ने अर्नब को तीन सप्ताह में अग्रिम जमानत की अर्जी डालने की छूट प्रदान की है. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ नागपुर में दाखिल एक FIR को छोड़कर बाकी सभी पर रोक लगा दी गई है. इसे भी मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया है.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर को अर्नब गोस्वामी और उनके रिपब्लिक टीवी को सुरक्षा देने का भी निर्देश दिया है.  

2. अर्नब को जश्न मनाने का और भाजपा को मजे लेने का मौका मिला
कांग्रेसियों ने गांधी परिवार की चापलूसी के लिए एक पत्रकार की टिप्पणी को मुद्दा बना लिया. मीडिया के खिलाफ जंग में उन्हें ऐसे कुछ तो हासिल नहीं हुआ. 
लेकिन नुकसान जरुर हो गया. 

क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत को अर्नब गोस्वामी अपनी जीत की तरह पेश कर रहे हैं. 

वहीं कांग्रेस की धुर विरोधी भाजपा को इसपर मजा लेने का मौका मिल गया है. भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस का मजाक उड़ाते हुए ट्विट किया है. उन्होंने अर्नब गोस्वामी को सुरक्षा दिए जाने के मामले को लेकर कांग्रेस नेताओं पर चुटकी ली है. 

3. अदालत में उछली सोनिया गांधी की प्रतिष्ठा 

अर्नब गोस्वामी ने सोनिया गांधी के खिलाफ एक टीवी डिबेट के दौरान विवादित बयान दिया था. उन्होंने कथित रुप से सोनिया गांधी को उनके पुराने नाम 'एंटोनिया माइनो' के नाम से पुकारा था. कांग्रेसियों ने इसे मुद्दा बनाकर इस विदेशी नाम को पूरे देश में चर्चा का विषय बना दिया. 

ये एक ऐसा मुद्दा है. जिसे उठाकर कांग्रेस फंस गई है. उससे अब ना तो उगलते बन रहा है ना ही निगलते बन रहा है. इसकी झलक तब दिखी, जब सर्वोच्च अदालत ने कांग्रेस के वरिष्ठ वकीलों अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, यमी याग्निक और विवेक तंखा से पूछा कि आखिर वो ऐसा कौन सा शब्द है जो सोनिया गांधी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाता है. तो वह बोल नहीं पाए. 

क्योंकि अगर ये अधिवक्ता अगर अर्नब गोस्वामी द्वारा कथित रुप से बोले गए सोनिया गांधी के पुराने नाम 'एंटोनिया माइनो' का उल्लेख करते तो यह अदालत के रिकॉर्ड में आ जाता. फिर तो बात दूर तक जाती.  

इसी डर से वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं और अधिवक्ताओं ने अदालत में 'एंटोनिया माइनो' शब्द का उल्लेख करने से परहेज किया. लेकिन ऐसा नहीं करने से अदालत में सोनिया गांधी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने संबंधी आरोप ठहरेंगे ही नहीं. फिर अदालत में मामले का फैसला कैसे होगा.

4. सोनिया गांधी के पूर्व जीवन को सार्वजनिक चर्चा का विषय बना दिया 
कांग्रेसियों ने अति उत्साह में अपने अपनी सर्वोच्च नेता के विगत जीवन का सार्वजनिक चर्चा का विषय बना दिया है. अब इस विषय पर छीछालेदर होनी 
तय है. सभी बड़े नेताओं की तरह सोनिया गांधी के पिछले जीवन के बारे में तरह तरह की अफवाहों का बाजार गर्म रहता है.

लेकिन कांग्रेसी नेताओं की मूर्खता ने इन अफवाहों को सुप्रीम कोर्ट जैसे संस्थान में ले जाकर इसपर आधिकारिक रुप से मुहर लगवाने का काम किया है. 

इसका अंजाम बेहद खराब हो सकता है. खास तौर पर सोनिया गांधी जैसी अंतरराष्ट्रीय छवि वाली बड़ी नेता को इस तरह के छोटे विवादों में उलझाना बेहद आत्मघाती साबित हो सकता है.  

हाल ही में खबर आई है कि रायबरेली के विधान परिषद् सदस्य दिनेश प्रताप सिंह ने सोनिया गांधी पर गलत नाम का प्रयोग करके चुनाव लड़ने और  मतदाताओं को धोखा देने के मामले में तहरीर दी है. 

दिनेश प्रताप सिंह पुराने कांग्रेसी हैं और अब भाजपा में आ गए हैं. उनका एक पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. जिसमें वह आरोप लगाते दिख रहे हैं कि 'सोनिया गांधी ने नाम बदल कर भारत की लोकसभा की सदस्यता हासिल की है. जो कि एक तरह का अपराध है. अतः एंटोनियो माइनो गांधी के ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 416, 420 ,467व 468 के अंतर्गत कार्यवाही की जाए'.

5. इंटरनेट के खुराफातियों को मौका दे दिया
इंटरनेट पर मीम बनाने वाले शरारती तत्वों को तो बस मौका मिलना चाहिए. उन्होंने सोनिया गांधी के नाम को लेकर उठे विवाद को लेकर मीम्स की झड़ी 
लगा दी. एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होता है. कांग्रेसी समझ नहीं पा रहे हैं. इस तरह की मीमबाजी से सोनिया गांधी की छवि को कितना नुकसान हो रहा है. इसे रोकने के लिए कोई कुछ नहीं कर सकता है-


लोग सोनिया गांधी का सार्वजनिक रुप से मजाक बना रहे हैं. 


कई लोगों ने तो सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी को भी निशाना बनाया है.

हालांकि कांग्रेस ने भी जवाब देने की कोशिश की है. 

कांग्रेस ने सोनिया गांधी की तुलना भारत माता से कर दी

इंदिरा की छवि के सहारे सोनिया को सहारा देने की कोशिश की गई. लेकिन मुकाबला बराबरी का नहीं है. सोनिया के महिमामंडन की कोशिश उतनी जोर पकड़ती नहीं दिख रही है. जितना उनकी छवि बिगाड़ने की कोशिशें


 
कुल मिलाकर अर्नब सोनिया विवाद में ज्यादा नुकसान कांग्रेस आलाकमान का ही होता हुआ दिखाई दे रहा है. क्योंकि अर्नब गोस्वामी एक पत्रकार हैं. उन्हें 
चुनाव नहीं लड़ना है. उन्होंने तो विवाद पैदा कर दिया. 

लेकिन सबसे बड़ी गलती कांग्रेस नेताओं ने की है. जिन्होंने इस विवाद को पूरे देश में सार्वजनिक चर्चा का मुद्दा बना दिया. जिसकी वजह से उनकी सर्वोच्च नेता की छवि का जबरदस्त नुकसान हो रहा है.  

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