क्या कोरोना संकट खत्म होने से पहले ही चीन-अमेरिका में जंग शुरू हो जाएगी?
कोरोना से तबाही के कारण चीन और अमेरिका के बीच तल्खी अपने चरम पर है. दोनों देशों के बीच हथियारों की खतरनाक होड़ भी शुरु हो चुकी है. जिससे संकेत मिल रहा है कि जल्दी ही ये दोनों जानी दुश्मनों की तरह एक दूसरे पर टूट पड़ेंगे.
नई दिल्ली: चीन की विस्तारवादी नीतियां दुनिया को खतरनाक युद्ध की तरफ धकेल रही हैं. इस जंग के लिए हथियार इकट्ठा करने का काम शुरु हो चुका है. जो आने वाले भविष्य का बेहद खतरनाक संकेत दे रहा है.
ताइवान का संकट बनेगा जंग का कारण
कोरोना से जूझ रहे अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट तैयार की. जिसके मुताबिक ताइवान की तरफ चीन का बढ़ रहा खूनी पंजा अमेरिकी हितों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है. पेंटागन की ये रिपोर्ट द टाइम्स अखबार में छपी थी. जिसके मुताबिक अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो अमेरिका उसे नहीं बचा पाएगा. यही नहीं प्रशांत महासागर में अमेरिका का बहुत अहम सैन्य अड्डा गुआम भारी खतरे में होगा. गुआम चीन की बैलेस्टिक मिसाइलों की रेंज में आता है. गुआम अमेरिका के लिए सामरिक दृष्टि से बहुत अहम है.
चीन हो या फिर उत्तर कोरिया, जब भी अमेरिका का इन दोनों देशों से तनाव होता है तो सबसे पहले निशाने पर गुआम द्वीप ही आता है. यहां पर अमेरिका के सबसे खतरनाक और आधुनिक लड़ाकू विमान B2बॉम्बर तैनात रहते हैं. जानकारों का मानना है कि अगर ताइवान को लेकर जंग हुई तो अमेरिका को चीन के हाथों मात खानी पड़ सकती है. अमेरिका में इस रिसर्च की जानकारी सार्वजनिक होते ही हड़कंप मच गया.
ये बात सभी जानते हैं कि चीन ने ताइवान पर दबाव बढ़ाना शुरु कर दिया है. वह कभी भी उसपर हमला कर सकता है. क्योंकि चीन ने ताइवान के पास की समुद्री सीमा में अभी तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास शुरु कर दिया है.
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चीन के खिलाफ अमेरिका ने शुरु की तैयारी
चीन का काबू में रखने और उसे ताइवान पर हमला करने से रोकने के लिए अमेरिका ने अपने सबसे महत्वाकांक्षी सैन्य प्रोजेक्ट पर काम करना शुरु कर दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी पर काम करना शुरु कर दिया है जो कि आवाज की गति से 17 गुना ज्यादा तेजी से दुश्मन पर हमला कर सकती है. ये दुश्मन को संभलने का मौका दिए बिना उसे तहस नहस कर सकती है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इस प्रोजेक्ट की घोषणा करते हुए कहा कि 'हमारे पास अब ऐसा सैन्य हथियार होगा जो किसी ने पहले नहीं देखा होगा. हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है. हमको ये करना ही होगा. हमने इसे Super Duper Missile का नाम दिया है, जो मिसाइलें पहले से मौजूद हैं उससे ये 17 गुना तेज़ है. आपने सुना होगा कि रूस के पास 5 गुना और चीन 6 गुना तेज मिसाइल पर काम कर रहा है. अगर आप यकीन करें हम 17 गुना तेज गति (मिसाइल) पर काम कर रहे हैं जो कि दुनिया में सबसे तेज़ है'.
ट्रंप की इस घोषणा के बाद विश्वयुद्ध शुरु होने की अटकलें तेज हो गई हैं. इसके बाद दुनिया में अत्याधुनिक हथियारों की एक नई होड़ के शुरु होने का खतरा है.
चीन की बढ़ती ताकत की भनक लगने से अमेरिका घबराया
अमेरिका को लगता है कि चीन ने पिछले दिनों चोरी छिपे अपनी ताकत में काफी इज़ाफा कर लिया है. अभी तक अमेरिका को लगता था कि चीन 2030 तक उसे चुनौती दे पाएगा. लेकिन पेंटागन की रिपोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को डरा दिया है. अमेरिकी रक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक चीन 2030 से पहले ही काफी खतरनाक हो गया है. चीन की सेना हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस है. 2030 में चीन के पास नई सबमरीन, एयरक्राफ्ट कैरियर और डेस्ट्रॉयर होंगे जिससे ताकत के मामले में चीन अमेरिका से आगे जा सकता है. यही वजह है कि पेंटागन की रिपोर्ट आने के 24 घंटे के अंदर ही अमेरिकी राष्ट्रपति को हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने का दावा करना पड़ा है. हालांकि इस मिसाइल पर अमेरिका पहले से काम कर रहा था.
ट्रंप के ऐलान के बाद उम्मीद है कि जल्दी ही अमेरिकी सेना भी हाइपरसोनिक मिसाइल से लैस हो जाएगी
खतरनाक हैं ये भविष्य के हथियार
अमेरिकी राष्ट्रपति ने जिस 'सुपर डुपर मिसाइल' का जिक्र किया है. उसे हाइपरसोनिक मिसाइल कहते हैं. इन मिसाइलों की स्पीड ध्वनि की रफ्तार से कई गुना ज्यादा तेज़ होती है. ध्वनि की रफ्तार 1238 किलो मीटर प्रति घंटा होती है, जो 60 मिनट में 15000 मील यानी 24140 किलो मीटर दूर के लक्ष्य को भेद सकती है. ये मिसाइलें क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल दोनों के फीचर्स से लैस होती हैं. लॉन्चिंग के बाद यह मिसाइल पृथ्वी की कक्षा से बाहर चली जाती है. जिसके बाद यह टारगेट को अपना निशाना बनाती है. इनकी तेज रफ्तार की वजह से रडार भी इन्हें पकड़ नहीं पाते हैं.
हाइपरसोनिक मिसाइल की एक खासियत ये भी है कि ये बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइलों से विपरीत अपनी दिशा में बदलाव भी कर सकती है. इसीलिए इसे पकड़ पाना बहुत मुश्किल है.
बेहद हाई स्पीड से हमला करती है हाइपरसोनिक मिसाइल
हाइपरसोनिक मिसाइल की सबसे बड़ी ताकत उनकी स्पीड है. जिससे दुश्मन को पलटवार का मौका नहीं मिलता. इस युद्ध में जो पहले वार करता है वो दुश्मन पर भारी पड़ता है. अमेरिका का दावा है कि वो जिस सुपर डुपर मिसाइल पर काम कर रहा है वो मौजूदा मिसाइलों से 17 गुना ज्यादा तेज है. इसके जरिए अमेरिका चंद ही मिनटों में सारे चीन को तबाह-बर्बाद कर सकता है.
दुनिया में सबसे तेज हाइपरसोनिक मिसाइल अमेरिका के पास
ऐसा नहीं है कि हाइपरसोनिक मिसाइल सिर्फ अमेरिका के ही पास है. दुनिया के कई और देशों ने हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर रखी है. लेकिन उनकी स्पीड अमेरिकी मिसाइलों से कम है. अवनगार्ड नाम की ऐसी ही एक मिसाइल रूस के पास भी है. जो कुछ ही घंटों में धरती के किसी भी कोने में न्यूक्लियर अटैक कर सकती है. लेकिन चीन हाइपर सोनिक मिसाइलें बनाकर उसे तैनात करने वाला पहला देश है. पिछले साल चीन ने अपनी नेशनल मिलिट्री परेड में DF-17 मिसाइल दिखाई थी, जो उसकी हाइपरसोनिक मिसाइल है.
इसलिए शुरु हुई हाइपरसोनिक मिसाइलों की होड़
अमेरिका के 30 साल पुरानी इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस यानी आईएनएफ संधि से खुद को अलग कर लेने के बाद दुनियाभर में हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार करने की होड़ शुरु हो गई. इस संधि से अलग होने के एक हफ्ते बाद ही 20 अगस्त, 2019 को अमेरिका ने 500 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली एक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया तो जवाब में रूस ने दिसंबर 2019 में ध्वनि की गति से ज्यादा तेज अवनगार्ड हाइपरसोनिक मिसाइल को अपनी सेना में शामिल किया.
लेकिन ट्रंप का दावा है कि ना रूस और ना ही चीन अमेरिका की मिसाइल के आगे कुछ कर पाएंगी. क्योंकि अमेरिकी हाइपरसोनिक मिसाइल चंद मिनटों में हर दुश्मन की छुट्टी कर देगी.
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कोरोना संकट के कारण अमेरिका और चीन की तल्खियां दुनिया में युद्ध की परिस्थितियां पैदा कर रही हैं. ऐसे में भारत को चुपचाप तटस्थ रहकर तमाशा देखना चाहिए. जिससे कि युद्ध के बाद की वैश्विक परिस्थितियों का फायदा उसे मिल सके.
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