नई दिल्ली.  ये ट्रम्प कार्ड ही है जो डोनाल्ड ट्रम्प ने खेला है. इससे पाकिस्तान बच नहीं सकता और न ही इसको नज़रअंदाज़ कर सकता है. एक चीज तो साफ हो जायेगी चीन के खिलाफ अमेरिका के द्वारा खेले गये इस मुस्लिम कार्ड से और वो ये  पाकिस्तान को अब तय करना होगा कि वह इस्लामी राष्ट्र है या कम्युनिस्ट विचारधारा वाला नई दुनिया का दक्षिण एशियाई देश. उसे अब ये भी तय करना होगा कि वह मुस्लिम हितों के विरोध में जा कर चीन के साथ खड़ा होगा या मुस्लिम हितों के विरोधी चीन का विरोध करेगा?


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अमरीकी सीनेट में हुआ बिल पारित 


राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन को कोरी धमकी नहीं दी है, उस पर काम भी शुरू कर दिया है. अमेरिकी सीनेट में एक बिल पारित हुआ है जिसके माध्यम से उइगुर मुसलमानों पर अत्याचार करने वाले चीन पर दबाव बनाया जायेगा. सीनेट से पारित होने के बाद अब इस बिल को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास स्वीकृति हेतु भेजा गया है.


चीन है पाकिस्तान का बड़े भाई समान मित्र  


पाकिस्तान के नाम दुनिया में दो ही उपलब्धियां हैं. एक तो आतंक की फैक्ट्री चलाने के लिए दुनिया में उसे जाना जाता है दूसरा उसने चीन को बिना राखी बांधे अपना भाई बना लिया है. चालक चीन ने पैसे की खैरात दे कर पाकिस्तान को दुनिया में अपना ख़ास गुर्गा और भारत के खिलाफ अपना ख़ास मुहरा बना लिया है. लेकिन इस ट्रम्प कार्ड के बाद इन दोनों भारत के दुश्मन देशों के बीच के रिश्ते की कलई खुलना पक्का है. 



 


चीन, पाकिस्तान में मानवाधिकार का उल्लंघन आम बात है 


जिस तरह पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं और इसाइयों पर अत्याचार होता चला आ रहा है ठीक उसी तरह चीन में भी अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों को सरकारी अत्याचार झेलने पड़ रहे हैं. अब उइगुर मुस्लिमों के उत्पीड़न को लेकर अमेरिका ने जो बड़ा गेम खेला है उसमें पाकिस्तान का फंसना पक्का है. ये बिल सीनेट से पास हो गया है और व्हाइट हाउस को भेजे गये इस बिल पर जल्दी हस्ताक्षर करने के लिये अमरीकी नेताओं ने राष्ट्रपति ट्रम्प से अपील की है. 


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