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नई दिल्ली.  जो डील अमेरिका-भारत के बीच हो रही है उसके बारे में कहा जा रहा है कि डॉनल्ड ट्रंप 'अमेरिका फर्स्ट' को आगे रखकर ही बात करेंगे. ये बात कहां तक व्यवहार के धरातल पर सच साबित होगी, ये तो ट्रम्प के भारत आने के बाद ही पता चलेगा. लेकिन ट्रम्प से ऐसी उम्मीद कम ही की जा सकती है क्योंकि इस बार जब वे भारत आ रहे हैं, मूल रूप से अपने ही स्वार्थवश आ रहे हैं.



 


ट्रम्प ने अमरीका में कहा - अमरीकी हित सर्वोपरि 


ट्रम्प ने अमरीकी हितों  को सर्वोपरि रखने की जो बात कही उसका एक मात्र उद्देश्य अमरीका की डिप्लोमैसी है, न कि भारत में व्यावहारिक मैत्री पर आधारित वार्ता. जानकारी मिली है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत आने से पहले कहा है कि वह भारत से वार्ता के दौरान अमेरिकी हित को आगे रखेंगे. ये तो स्वाभाविक ही है लेकिन उन्होंने ये नहीं कहा कि भारत के हितों को अनदेखा करेंगे. ट्रम्प भी जानते हैं कि ताली दोनों हांथों से बजती है. 


ट्रेड डील को लेकर कही ये बात 


जैसा कि तय कार्यक्रम है अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप 24 फरवरी को भारत आ रहे हैं. भारत आने के पूर्व अमरीका में वे अपनी पॉपुलर इमेज बनाये रखना चाहते हैं इसलिए ही नेशन फर्स्ट का नारा लगा रहे हैं. अमरीका में डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वह भारत के साथ ट्रेड डील को अमेरिकी हित को ध्यान में रखकर ही करेंगे और अगर आवश्यकता हुई तो उसे अभी टाल भी सकते हैं.



 


व्यावहारिक रूप से दोनों देशों के हित सर्वोपरि  


अमरीकी हित सर्वोपरि तो हो सकते हैं लेकिन सिर्फ वहीं जहां भारत जैसी विश्व शक्ति के साथ द्विपक्षीय मैत्री न हो. भारत में द्विपक्षीय हित ही सर्वोपरि होंगे, इस बात को ट्रम्प भी अच्छी तरह समझते हैं और पीएम मोदी भी. तभी ट्रम्प का भारत में वह अभूतपूर्व स्वागत होने जा रहा है जो अब तक किसी विदेश राष्ट्राध्यक्ष का भारत में नहीं हुआ होगा. इसलिए ट्रम्प की डील मोदी के सामने चुनौती नहीं होगी बल्कि एक द्विपक्षीय हितों को ध्यान में रख कर होने वाली डील होगी.