नई दिल्ली. चीन के साथ मित्रता किसी देश के लिए सुनहरा दौर हो नहीं सकती. इसकी वजह साड़ी दुनिया को पता है कि चीन मतलब के लिए दोस्ती करता है और दोस्ती में सामने वाले को फायदा कम नुक्सान ज्यादा पहुंचाता है. ब्रिटेन की भी चीन जैसे धूर्त राष्ट्र के साथ मित्रता का एक लम्बा दौर अब अपनी ढलान पर है. जबकि भारत के साथ अब उसकी मित्रता का जोश आने वाले दिनों में उफान पर होगा, इसमें कोई शक नहीं है. 


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'हांगकांग बनी है वजह' 


भारत की ब्रिटेन में उच्चायुक्त ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हांगकांग के कारण दोनों देशों के रिश्ते खराब होने वाले हैं. हॉन्गकॉन्ग में लाए जा रहे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के कारण ऐसा हो रहा है जिसे ब्रिटेन ने सख्त नापसंद किया है जबकि चीन ने इसे अपना घरेलू मामला माना है. ऐसे में भारत का ब्रिटेन के साथ आर्थिक तौर पर करीब आना भारत के नज़रिये से एक समझदारी भरा कदम होगा.


मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति 


भारत और ब्रिटेन के रिश्ते हमेशा ही अच्छे रहे हैं. अब इन रिश्तों के बहुत अच्छे होने का समय आ गया है और चीन की अनुपस्थिति कई देशों के लिए भारत को बेहतर विकल्प के रूप में पेश करेगी. इस दिशा में दोनों देशों ने कदम भी बढ़ा दिए हैं और भारत तथा ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए सहमति बन गई है और उस पर कार्य भी शुरू हो गया है. 


वैश्विक अर्थव्यवस्था का मील का पत्थर 


ब्रिटेन में भारत की उच्चायुक्त गायत्री इस्सर ने कहा कि आज का समय विश्व की आर्थिक व्यवस्था के लिए एक मील का पत्थर साबित होने वाला मुकाम है. दुनिया के देश अपनी अर्थवयवस्थाओं को नए ढंग से पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में भारत और ब्रिटेन के पास न केवल आपसी हितों को बढ़ावा देने का द्विपक्षीय अवसर है बल्कि विश्व के दूसरे देशों के लिए भी एक बड़ा अवसर बन कर प्रस्तुत होने का भी मौक़ा है. 


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