यूनाइटेड नेशंस की आशंका, मर सकते हैं हज़ारों बच्चे
कोरोना महामारी के दौर में यूनाइटेड नेशंस ने आशंका जताई है कि इस साल हजारों बच्चों की हो सकती है मौत
नई दिल्ली: यूनाइटेड नेशंस ने चेतावनी दी है कि यदि कोरोना महामारी पर जल्द ही काबू न पाया गया तो ये इस साल हज़ारों बच्चों की मौत की वजह बन सकती है. यूनाइटेड नेशंस ने बच्चों पर कोरोना वायरस के प्रभाव का आकलन कर के यह वक्तव्य जारी किया है. इस वक्तव्य में कहा गया है कि इससे दुनिया में चलाये जा रहे शिशु मृत्यु दर को कम करने की कोशिशों को नुकसान पाहून सकता है.
पॉलिसी ब्रीफ के अंतर्गत किया आकलन
हाल ही में यूनाइटेड नेशंस ने 'पॉलिसी ब्रीफ: द इम्पेक्ट आफ कोविड-19 ऑन चिल्ड्रन' में चिंता जाहिर की है कि - ''बच्चे इस महामारी से बचे हुए हैं फिर भी उनके सर पर इस वायरस का संकट मंडरा रहा है. वैसे ईश्वर को धन्यवाद देना होगा कि बच्चे कोरोना वायरस के प्रत्यक्ष स्वास्थ्य प्रभावों से बचे हुए हैं."
अत्याधिक गरीबी के शिकार हो सकते हैं बच्चे
यूनाइटेड नेशंस ने कोरोना के आर्थिक दुष्परिणामों का भी आकलन किया है. अपने आकलन को प्रस्तुत करते हुए इस वैश्विक संगठन ने आगाह किया है कि लगभग चार से साढ़े चार करोड़ बच्चे इस साल कोरोना महामारी की वजह से अत्यंत निर्धनता का शिकार हो सकते हैं जबकि पिछले साल पहले ही साढ़े अड़तीस करोड़ बच्चे अत्यधिक निर्धनता के अभिशाप से पीड़ित हैं.
डेढ़ अरब बच्चे महामारी के शिकार हुए हैं
यूनाइटेड नेशंस ने जो आंकड़े पेश किये हैं उनके अनुसार महामारी के कारण 188 देशों में शिक्षा का संकट बढ़ गया है जहां स्कूलों को बंद करना पड़ा है. इस कारण डेढ़ अरब बच्चों और युवाओं को नुकसान पहुंचा है.
कोरोना के प्रभाव का वैश्विक आकलन करने वाले अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़े कहते हैं कि दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या 20 लाख के पार हो गई है और दुनिया भर में कोरोना मौतों का आंकड़ा डेढ़ लाख के करीब पहुंच चुका है. वहीं दुनिया में अमेरिका इस वायरस से सबसे अधिक ग्रस्त देश बन कर उभरा है जहां साढ़े छह लाख संक्रमण के मामले सामने आये है और तैंतीस हज़ार लोग मारे गए हैं.
इस वर्ष कुपोषण का आंकड़ा बढ़ सकता है
यूनाइटेड नेशंस की चिल्ड्रन एस्टीमेट रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वर्ष 143 देशों के करीब सैंतीस करोड़ बच्चों में कुपोषण के बढ़ने की आशंका है. इन बच्चों के लिए दैनिक पोषण का विश्वसनीय स्रोत स्कूल का मध्यान्ह भोजन होता है किन्तु इस साल उनको दूसरे किसी स्रोत पर निर्भर होना पड़ेगा. इसी तरह इस वर्ष बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके कल्याण पर भी संकट मंडरा रहा है.
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