देश का नाम ऊंचा करने वाली बबीता को सच बोलना क्यों महंगा पड़ गया?

तबलीगी जमात के जाहिलों पर बोलना देश की महिला पहलवान बबीता फोगाट को इतना महंगा पड़ गया कि कट्टरपंथी उन्हें ट्विटर से सस्पेंड करने की बात कहने लगे. देश के नाम अनेकों पदक जीतने वाली बबीता फोगाट पर देशवासियों की जान खतरे में डालने वाले जमातियों के खिलाफ बोलने के लिए सवाल उठाया जा रहा है. आखिर कब देश के कुछ लोग मजहब से ऊपर उठ कर मानवता और राष्ट्र के लिए सोचेंगे?

Written by - Vineeta Kumari | Last Updated : Apr 17, 2020, 10:55 AM IST
    • जमातियों को जाहिल बोलना बबीता को पड़ रहा है महंगा
    • लेकिन झुकी नहीं हैं बबीता फोगाट
    • देश के लिए जीत चुकी हैं कई मेडल
    • देश की शान हैं बबीता फोगाट
 देश का नाम ऊंचा करने वाली बबीता को  सच बोलना क्यों महंगा पड़ गया?

नई दिल्ली: देश के लिए कई पदक लाने वाली बबीता फोगाट के खिलाफ जाहिल मजहबी जमात इकट्ठा हो गई है.  जिस लड़की ने विदेशों में भी देश का नाम ऊंचा किया आज उसे सच बोलने के लिए अभद्र बातें सुनने को मिल रहे हैं.

जिस बबीता फोगाट ने देश का झंडा हर क्षण ऊंचा रखा है उसे आज कुछ जाहिल लोगों पर बोलने के लिए नीचा दिखाने की कोशिश हो रही है. बबीता फोगाट एक भारतीय पहलवान हैं.  जो देश के नाम कितनी बार रोशन कर चुकी हैं. लेकिन देश में रहने वाले जाहिल लोगों पर बोलने के लिए उन्हें पहलवानी से सस्पेंड करने के लिए लोग ट्विटर पर ट्वीट कर रहे हैं. 

बता दें कि बबीता फोगाट ने हालही में अपने ट्वीट पर लिखा कि कोरोना वायरस भारत की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी समस्या है. जाहिल जमाती अभी भी पहले नंबर पर बना हुआ है. बबीता ने इस ट्वीट से उन लोगों पर हमला किया जिसकी वजह से आज कोरोना के केसों में भारी इजाफा देखने को मिला और उसका खामियाजा आज पूरा देश भुगत रहा है. 

दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात मरकज में शामिल हुए लोगों से किसी एक इंसान या जाति या धर्म के लोगों को दिक्कत नहीं हुई है बल्कि उन्होंने पूरे देशवासियों के जान को खतरे में डाला है. 

सलमान ने देशवासियों को कोरोना पर दी चेतावनी.

तबलीगी जमात में शामिल होना और उसके बाद सरकार व प्रशासन के बोलने के बाद भी खुद से सामने न आना उनका जाहिलपन ही है. तो क्या आप अपने किसी अपने की अर्थी को कंधा देने के लिए तैयार है. 

आज हमारा पूरा देश लॉकडाउन किया जा चुका है. यह लॉकडाउन किसी एक जाति या धर्म के लोगों के लिए नहीं है बल्कि सभी हिंदुस्तानियों के लिए है.

आज कोरोना के हजारों मरीजों में क्या देश के डॉक्टर व प्रशासन किसी एक जाति या धर्म के लोगों का इलाज कर रहे हैं. जी नहीं हमारा देश भाइचारे के लिए जाना जाता है और हर भारतीय इस बात को अच्छे से जानता है.

लेकिन देश में कुछ ऐसे भी लोग है जो गलत को गलत और सही को सही बोलने से कतराते हैं क्योंकि उनके आंखों पर मजहबी कट्टरंथ की पट्टी बंधी हुई है. 

आखिर कब इस महामारी में भी लोग मजहब से ऊपर उठ कर बात करेंगे. ये सोच हमारे देश को कमजोर करती है.

तबलीगी जमातियों ने अगर गलती की है और उसका खामियाजा हर देशवासी भुगत रहा है तो उसे गलत बोलना किसी धर्म और जाति को अपमान करना नहीं है बल्कि ऐसे लोगों को आईना दिखाना है. आप ऐसे लोगों को सर्मथन दे रहे हैं.

लेकिन कल को ऐसे लोगों की वजह से आपके परिवार में किसी को कोरोना पॉजिटिव पाया जाएगा तो फिर भी क्या आपकी यहीं मानसिकता होगी.

 

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