नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को कहा कि वह उन राज्यों में गर्भपात संबंधी नियमों के मद्देनजर महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए अपनी 'क्षमतानुसार' हरसंभव प्रयास करेंगे, जहां इन्हें प्रतिबंधित किया जाएगा. उच्चतम न्यायालय द्वारा गर्भपात के लिए संवैधानिक सुरक्षा को खत्म करने के बाद बाइडेन का यह बयान सामने आया है.


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अमेरिकी राष्ट्रपति ने फैसले को बताया गलत


अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने कई साल पहले रो बनाम वेड मामले में दिए गए फैसले को पलटते हुए गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण को समाप्त कर दिया है. शुक्रवार को हुए इस घटनाक्रम से लगभग आधे राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगने की संभावना है.


बाइडेन ने कहा कि राजनेताओं को उन फैसलों में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जाएगी जोकि एक महिला और उसके चिकित्सक के बीच होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने अदालती फैसले को 'गलत' करार दिया है. उन्होंने गर्भपात के लिए संवैधानिक सुरक्षा की वकालत करने वालों से अपील की कि वे केवल शांतिपूर्ण तरीके से विरोध-प्रदर्शन करें.


राज्य गर्भपात पर लगा सकते हैं रोक: कोर्ट


अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने 50 साल पहले के रो बनाम वेड मामले में दिए गए फैसले को पलटते हुए गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण को समाप्त कर दिया है. शुक्रवार को हुए इस घटनाक्रम से लगभग आधे राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगने की उम्मीद है. यह निर्णय कुछ साल पहले तक अकल्पनीय था.


उच्चतम न्यायालय का फैसला गर्भपात विरोधियों के दशकों के प्रयासों को सफल बनाने वाला है. न्यायमूर्ति सैमुअल अलिटो की एक मसौदा राय के आश्चर्यजनक ढंग से लीक होने के एक महीने से अधिक समय बाद यह फैसला आया है. इस फैसले के संबंध में एक महीने पहले न्यायाधीश की यह मसौदा राय लीक हो गई थी कि अदालत गर्भपात को मिले संवैधानिक संरक्षण को खत्म कर सकती है.


मसौदा राय के लीक होने के बाद अमेरिका में लोग सड़कों पर उतर आए थे. अदालत का फैसला अधिकतर अमेरिकियों की इस राय के विपरीत है कि 1973 के रो बनाम वेड फैसले को बरकरार रखा चाहिए जिसमें कहा गया था कि गर्भपात कराना या न कराना, यह तय करना महिलाओं का अधिकार है.


इससे अमेरिका में महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात का अधिकार मिल गया था. सैमुअल अलिटो ने शुक्रवार को आए फैसले में लिखा कि गर्भपात के अधिकार की पुन: पुष्टि करने वाला 1992 का फैसला गलत था जिसे पलटा जाना चाहिए.


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