नई दिल्ली: अमेरिका से लेकर रूस तक, इज़राइल से लेकर जर्मनी तक.. दुनियाभर के सभी देश इस समय कोरोना से निपटने के लिए संजीवनी खोजने और बनाने में जुटे हुए हैं. लेकिन. निराशाजनक ख़बरों के अंबार के बीच कोरोना की संजीवनी रेमडेसिवियर एक आशा बनकर उभरी है. कई देशों ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना की वैक्सीन बना ली है लेकिन आपको बताते हैं कि रेमडेसिवियर कैसे इन सबसे अलग है, और इसे क्यों कारगर माना जा रहा है.


कोरोना की दवा पर क्या है WHO का दावा?


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क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में रेमडेसिवियर के पॉजिटिव नतीजे सामने आने के बाद पूरी दुनिया की नजर अब रेमडेसिवियर नाम की इस दवा पर टिक गई हैं. साथ ही WHO के इमरजेंसी एक्सपर्ट माइक रायन तक ने माना है कि गिलीएड साइंस इंक की बनाई रेमडेसिवियर के परिणाम उम्मीद जगाने वाले हैं.


WHO के इमरजेंसी एक्सपर्ट माइक रायन का कहना है कि "इस ड्रग के इस्तेमाल को लेकर उम्मीद भरे संकेत मिल रहे हैं. हम गिलीएड इंक और अमेरिकी सरकार से बात कर रहे हैं, ताकि इसका ज़्यादा स्टॉक उपलब्ध हो सके."


क्लिनिकल ट्रायल में संजीवनी साबित हो रही है दवा


WHO के महानिदेशक टेड्रोस घेब्रेयेसस ने भी कहा है कि हम जल्द ही एक प्लान साझा करेंगे, जिसमें दुनिया भर के देशों से इकट्ठा किए गए 8 बिलियन डॉलर का कैसे इस्तेमाल करें, इसका ब्यौरा होगा. उन्होंने कहा कि हमें मिलकर इसे हराने के लिए उपकरणों और वैक्सीन को विकसित करने पर काम करना होगा.


कोरोना से जंग में कारगर है रेमडेसिवियर?


रेमडेसिवियर एक एंटी वायरल दवा है, जिसे इबोला के इलाज के लिए बनाया गया था. रेमडेसिवियर के क्लिनिकल ट्रायल के मुताबिक, इस दवा ने 50% रोगियों के सुधार समय को 5 दिन कम कर दिया है, यानी रिकवरी 5 दिन कम में ही होने लगती है.


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अगर ट्रायल पूरी तरह से सफल हुआ तो इससे दुनिया को एक तरह से संजीवनी मिल जाएगी. जिसका इंतजार पूरी दुनिया बड़ी ही बेसब्री से कर रही है.


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