नई दिल्ली: EVM Voting: भारत में जब-जब चुनाव आते हैं, EVM से होने वाली वोटिंग पर जरूर सवाल उठते है. साथ ही ये तर्क भी दिया जाता है कि विकसति देश EVM का इस्तेमाल नहीं करते तो हम क्यों करते हैं? देश में लोकसभा चुनाव का पहला चरण हो चुका है. 26 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग है. वोटिंग EVM यानी Electronic Voting Machine के जरिये ही हो रही है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर अमेरिका EVM से वोटिंग क्यों नहीं कराता?


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25 देशों में EVM का इस्तेमाल
दुनिया में करीब 25 देश ऐसे हैं, जो EVM से वोटिंग कराते हैं. जबकि फ्रांस, इंग्लैंड, जर्मनी और अमेरिका जैसे कुछ ऐसे देश भी हैं, जहां पर EVM बैन है. इन देशों में बैलट पेपर से चुनाव होते हैं. 


EVM पर कम भरोसा
दरअसल, अमेरिकी नागरिकों को EVM पर भरोसा नहीं है. अमेरिका के नागरिक मानते हैं कि EVM हैक किया जा सकता है. EVM के मुकाबले बैलेट पेपर अधिक भरोसेमंद है. अमेरिका में इस साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होनी है, यह बैलट पेपर के जरिये ही होगी.


EVM की परंपरा नहीं
इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण कारण ये भी है कि बैलट पेपर की परंपरा यहां 18वीं सदी से चल रही है. यहां चुनाव में बैलट पेपर को एक रिचुअल यानी रस्म की तरह  देखा जाता है. अमेरिका में ई-वोटिंग भी होती है. इसमें ईमेल या फैक्स से वोट करना होता है. वोटर को बैलेट फॉर्म भेजा जाता है, वह इसे भरते हैं. फिर ई-मेल या फैक्स कर सकते हैं.


इन देशों ने लगाया था बैन
EVM पर बैन लगाने की शुरुआत नीदरलैंड से हुई. फिर जर्मनी ने भी माना कि EVM वोटिंग की गलत और अपारदर्शी प्रणाली है. इटली ने भी शुरुआत में EVM का इस्तेमाल किया, फिर हैकिंग की आशंका के चलते इसे बंद कर दिया. अमेरिका में EVM से कभी वोटिंग नहीं हुई. 


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