Bangladesh Violence: बांग्लादेश में बवाल... आरक्षण पर क्यों उग्र हुए स्टूडेंट्स?

Why Violence in Bangladesh: बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. अब तक 6 लोगों की जान चुकी है. ये प्रदर्शन आरक्षण को हटाने के लिए यूनिवर्सिटीज के छात्रों द्वारा किया जा रहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 17, 2024, 06:38 PM IST
  • एक तिहाई आरक्षण हटाने की मांग
  • एक गुट आरक्षण के पक्ष में भी
Bangladesh Violence: बांग्लादेश में बवाल... आरक्षण पर क्यों उग्र हुए स्टूडेंट्स?

नई दिल्ली: Why Violence in Bangladesh: बांग्लादेश के कई शहरों में बेरोजगार युवा प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका प्रदर्शन इतना उग्र हो गया है कि कई इलाकों से हिंसा की खबरें भी आई हैं. अब तक इस हिंसक प्रदर्शन में 6 लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें 3 स्टूडेंट्स हैं. सरकार ने माहौल को देखते हुए कई शिक्षण संस्थानों (यूनिवर्सिटीज) को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया है. 

छात्रों की क्या मांग?
दरअसल, ये हिंसा आरक्षण को लेकर हो रही है. यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स की मांग है कि वॉर हीरोज के बच्चों को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए. वॉर हीरोज वे सैनिक हैं, जो 1971 के मुक्ति युद्ध का हिस्सा थे. छात्रों की मांग है कि इनके बच्चों को सरकारी नौकरियों में दिए जाने वाला एक-तिहाई आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए.

आरक्षण के मुद्दे पर बने दो गुट
आंदोलन हिंसक तब हुआ, जब आरक्षण को लेकर दो गुट बने. एक गुट वॉर हीरोज के बच्चों को आरक्षण के पक्ष में, जबकि दूसरा गुट इसके विरोध में उतरा हुआ है. अब दोनों गुटों में कहीं पत्थर चले हैं तो कहीं लाठियां. इस तरह इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया.

बांग्लादेश में किसको कितना आरक्षण?
बांग्लादेश में वॉर हीरोज के बच्चों को आरक्षण का फायदा मिलता है. 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वालों के बच्चों और पोते-पोतियों को सरकारी नौकरी में 30% आरक्षण मिलता है. बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में कुल आरक्षण 56% है. इसमें 30 फीसदी के अलावा, महिलाओं को 10%, अविकसित जिलेवासियों के लिए 10%, स्वदेशी समुदाय के लिए 5% और विकलांगों के लिए 1% आरक्षण की व्यवस्था है. 

हाईकोर्ट के फैसले से नाराज छात्र
गौरतलब है कि साल 2018 शेख हसीना की सरकार ने विरोध प्रदर्शन को देखते हुए आरक्षण व्यवस्था खत्म कर दी थी. लेकिन जून, 2024 में ढाका हाईकोर्ट ने इसे वापस लागू कर दिया. इसके बाद से ही बांग्लादेश में फिर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.

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