संदीप सिंह/मनाली: देश में पहली बार सबसे ज्यादा गुणकारी और मेडिसिनल वैल्यू वाले मसाले हींग की खेती का आगाज होने जा रहा है, और इसकी शुरुआत हुई है हिमाचल प्रदेश से. इसकी खेती के लिए ज़ीरो तापमान की ज़रूरत होती है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले को हींग की खेती के लिये उपयुक्त माना गया है और ट्रायल के तौर पर लाहौल-स्पीती के तीन गाँव  के 7 किसानों को हींग की खेती के लिये चुना गया है.


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अफगानिस्तान से लाए गए हींग के बीज को पालमपुर स्थित हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के लैब में वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया है. संस्थान ने ट्रायल के तौर पर हींग की  पैदावार के लिए देश में सबसे पहले लाहौल स्पीति को चुना है.  आईएचबीटी की ये पहल कामयाब हुई तो हींग से जनजातीय किसानों की आर्थिकी में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा. हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान ने पालमपुर स्थित रिसर्च सेंटर में हींग के पौधों की 6 वैरायटी तैयार की हैं.


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जिला कृषि अधिकारी डॉ विरेंद्र सिंह ने बताया कि CSIR, IHBT और कृषि विभागों के प्रयासों से लाहौल देश का पहला जिला है जहां हींग का पौधा रोपित किया गया साथ ही जिले के 95 किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है.


लाहौल के किसान इस बात से काफी खुश हैं. किसानों का कहना है कि हींग की जैविक खेती करने को लेकर विभाग ने विस्तार से जानकारी भी दी है.


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साल के चार से 6 महीने बर्फ की कैद में रहने वाले हिमाचल के जनजातीय जिला लाहौल -स्पीति ओर्गेनिक खेती के लिए मशहूर है अगर हींग की खेती में सफलता हासिल होती है तो ये क्षेत्र आलू-मटर, गोभी के साथ साथ हींग के लिए भी जाना जाएगा.


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